पत्रकार प्रणय प्रियंवद की एक खबर पढ़ कर पटना हाईकोर्ट के जज साहेबान इतने गंभीर हुए कि उन्होंने इस पर संज्ञान ले लिया और राज्य के अधिकारियों को अदालत में तलब कर लिया. इतना ही नहीं अदालत के कई कड़े प्रश्नों का उन्हें समाना करना पड़ा.
बिहार को  प्लास्टिक (पॉलीथिन ) मुक्त राज्य क्यों नही बनाया जा  सकता?  राज्य में पॉलीथिन बैग के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक क्यों नही लगायी जा सकती?  यह सवाल पटना हाईकोर्ट ने पूछा। इन सवालों का जवाब देने के लिए पटना हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव , प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष सहित कई आला अधिकारियों को 27 जुलाई को को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति डॉ.  रवि रंजन व न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने दैनिक भास्कर (गया संस्करण ) में 23 जून को प्रधान संवाददाता प्रणय प्रियंवद की खबर पर स्वतः संज्ञान लेकर  जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिए ।
 मालूम हो कि बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर परिसर में मुचलिन्द झील में प्लास्टिक व पॉलिथीन फेंककर प्रदूषित किए जाने की प्रणय प्रियंवद की एक रिपोर्ट पर पटना हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उसे पीआईएल में तब्दील कर 27 जून को  सुनवाई की थी और  गया के डीएम को आदेश दिया था कि वे  9 जुलाई को उक्त झील की प्रदूषण समस्या का निदान के साथ कोर्ट में हाज़िर हों।
गया के डीएम ने कोर्ट में हाज़िर होकर एक हलफनामा दायर किया जिसमें कहा कि  बोधगया मन्दिर परिसर में मुचलिन्द झील को प्रदूषण से बचाने के लिए किसी भी तरह की प्लास्टिक व पॉलिथीन बैग पर रोक लगा दी गयी है । किसी को भी पॉलिथीन लेकर  मन्दिर परिसर के अंदर प्रवेश की इजाजत नहीं । साथ ही उस जगह के आसपास पॉलिथीन बैग के इस्तेमाल को रोकने के लिए कड़ी निगरानी भी की जा रही है। पॉलीथिन इस्तेमाल पर पकड़े जाने पर सज़ा का भी प्रावधान है । हाईकोर्ट ने गया डीएम की तरफ से दायर जवाब को संतोषजनक मानते हुए अब पूरे राज्य में प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल के रोक पर सरकार से जवाब मांग लिया है। इसी बिंदु पर उक्त सभी जिम्मेदार आला अधिकारियों को अगली सुनवाई पर हाज़िर होने का भी आदेश दिया है ।
मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में राष्ट्र कवि दिनकर की कविता ‘ झील ‘ को उद्धृत किया है-
मत छुओ इस झील को।
कंकड़ी मारो नहीं,
पत्तियां डारो नहीं,
फूल मत बोरो।
और कागज की तरी इसमें नहीं छोड़ो।
खेल में तुमको पुलक-उन्मेष होता है,
लहर बनने में सलिल को क्लेश होता है।

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427