बिहार सरकार का ‘बढ़ चला बिहार’ अभियान का पहिया खिसकने लगा है। संवाद का क्रम शुरू होने लगा है। सुशासन का राग लयबद्ध होने की ओर बढ़ रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्‍या विज्ञापन जारी करने और सरकारी कार्यक्रमों की सूचना देने वाला जनसंपर्क विभाग ‘टीम प्रशांत’ की महत्‍वाकांक्षी योजना को जमीन पर उतारने में सक्षम है।pratayay

वीरेंद्र यादव

 

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव प्रत्‍यय अमृत हैं। सीएम नीतीश कुमार के विश्‍वस्‍त हैं। लेकिन वह भी आइपीआरडी को बहुत सक्रिय नहीं बना सके हैं। अभी आइपीआरडी का मुख्‍य काम विज्ञापन जारी करना है और सरकारी कार्यक्रमों की जानकारी मीडिया को भेज देना है। इसके अलावा मुख्‍यमंत्री या कभी-कभार मंत्रियों की प्रेस विज्ञप्ति जारी करना ही काम दिखता है। जनता के साथ संवाद की जिस व्‍यापक अवधारणा को लेकर सीएम ने ‘बढ़ चला बिहार’ अभियान की शुरुआत की है, उसकी जरूरतों को पूरा करना फिलहाल पीआरडी के माध्‍यम से संभव नहीं दिखता है।

ठेके पर ली एजेंसी

विभाग ने पहले से एक एजेंसी को ठेके पर लिया था। वह एजेंसी एक मंत्री के रिश्‍तेदार की बतायी जाती है। हालांकि उसके काम से विभाग भी संतुष्‍ट नहीं था। अब सरकार की छवि चमकाने का जिम्‍मा टीम प्रशांत को सौंप दिया गया है। उसके अपने लोग हैं, अपनी योजना है। उसने भी मूलत: नीतीश कुमार की छवि चमकाने का जिम्‍मा स्‍वीकार किया है। सरकार के मंत्री भी उसके कार्यक्षेत्र में नहीं आएंगे। संवाद, गोष्‍ठी से लेकर ‘ट्रकों पर लाद’ कर सरकार को गांवों तक पहुंचाने के अभियान के केंद्र में नीतीश कुमार ही होंगे।

 

जदयू कार्यकर्ताओं का भरोसा

‘बढ़ चला बिहार’ अभियान जदयू कार्यकर्ताओं के भरोसे पर चल रहा है। अभियान के हर कार्यक्रम में भीड़ जुटाने का जिम्‍मा जदयू के मंत्री, विधायक, संगठन के पदाधिकारी और पार्टी कार्यकर्ताओं का होगा। विजन पेपर के लिए जिस फीडबैक की अपेक्षा सीएम कर रहे हैं, वह जदयू के लाइन से अलग नहीं होगा।

 

जंग छुड़ाने की चुनौती

विभाग पर लगे जंग छुड़ाने यानी विभाग को क्रियाशील बनाने के लिए टीम प्रशांत को काफी मशक्‍कत करनी पड़ेगी। विभाग के पास आदमी सिर्फ राज्‍य मुख्‍यालय में ही हैं। जिलों में डीपीआरओ के पास गिनती के काम हैं। वैसे में यह चुनौती विभागीय सचिव प्रत्‍यय अमृत की है कि ‘मृत’ पड़े विभग को कैसे जीवंत बनाते हैं। प्रशांत किशोर का कुनबा प्रजेंटेशन, प्रेस विज्ञप्ति, माउस, स्‍क्रीन, की बोर्ड और लैपटॉप से आगे नहीं बढ़ पाएगा। आखिर काम का समन्‍वय तो विभाग को ही करना है। इसलिए पहली जरूरत विभाग पर लगे जंग को छुड़ाना ही है।

By Editor

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