मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) प्रधान सचिव के बिना ही चल रहा है। हर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव होते रहे हैं। हालांकि यह कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। हाल तक धर्मेंद्र सिंह गंगवार मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव थे। लेकिन उन्हें अब शिक्षा विभाग का प्रधान सचिव बना दिया गया है।
वीरेंद्र यादव
नीतीश कुमार ने 2005 में सीएम पद संभालने के बाद उत्तर प्रदेश कैडर के आइएएस और स्वजातीय आरसीपी सिंह को प्रधान सचिव के रूप में नियुक्त किया था। आरसीपी सिंह के राज्य सभा में जाने के बाद करीब दो वर्षों तक प्रधान सचिव का पद रिक्त रहा। दो वर्ष बाद अंजनी कुमार सिंह को प्रधान सचिव बनाया गया। बाद में अंजनी सिंह को मुख्य सचिव बने। उनके बाद प्रधान सचिव के रूप में दीपक प्रसाद और अमृतलाल मीणा की नियुक्ति की गयी।
जीतनराम मांझी के अपदस्थ होने के बाद अमृतलाल मीणा की जगह डीएस गंगवार मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव बने। वे भी नीतीश कुमार के स्वजातीय बताए जाते हैं। उनके शिक्षा विभाग में जाने के बाद इस पद पर किसी की नियुक्ति नहीं की गयी। इसकी भरपाई के लिए दो जगह की तीन सचिवों की नियुक्ति की गयी। चंचल कुमार और अतीश चंद्रा के साथ मनीष वर्मा को मुख्यमंत्री का सचिव नियुक्त किया गया। वे उड़ीसा कैडर के हैं। वे बिहार में प्रतिनियुक्ति पर हैं। उनकी खासियत है कि वह कुर्मी होने के साथ ही नालंदा के निवासी हैं। नीतीश राज में किसी भी व्यक्ति या अधिकारी के लिए कुर्मी और नालंदा का होने विशेष योग्यता मानी जाती है और मनीष वर्मा में दोनों योग्याएं हैं।