आरजेडी नेता प्रभुनाथ सिंह को आजीवन कारावास की सजा किसी के चेहरे पर  खुशी है तो किसी के यहां मातम है. सारण की राजनीति में अच्छी पकड़ रखने वाले प्रभुनाथ को उम्रकैद की सजा मिलने के बाद वहां की सियासत क्या रंग दिखायेगी?

शिवानंद गिरि का विश्लेषण

मशरक के एक साधारण परिवार में जन्में प्रभुनाथ सिंह पहले एक मामूली सीमेंट व्यवसायी  थे लेकिन राजनीतिक
महत्वाकांक्षा उन्हें राजनीति में ले आयी . शुरूअाती दिनों में मशरक एरिया में राजनीतिक पकड़ बनाने के बाद जनता दल से राजनीति की शुरूआत करने वाले प्रभुनाथ  महाराजगंज एरिया को अपना आधार मानते हुए राजनीतिक जमीन तलाशनी शुरू की .2004में उन्हें जनता दल यू से महाराजगंज से लोकसभा का टिकट भी मिला .वे जीत भी गए.लेकिन कुछ बिंदुओं पर नीतीश कुमार से नाराजगी  को लेकर वे सरकार के खिलाफ बगावती तेवर अपनाए  रहें.
2009 के लोकसभा चुनाव में टिकट तो जदयू से जरूर मिला लेकिन वे आरजेडी के उमाशंकर सिंह से हार गए .कहा तो यहां तक जाता है कि प्रभुनाथ सिंह हारे नहीं बल्कि हरवा दिया गया .हरवाने का आरोप भी जदयू के एक  दिग्गज नेता पर लगा .
बाद में  प्रभुनाथ सिंह ने  राजीव सिंह ‘ललन ‘सहित कुछ नेताओं के साथ एक मंच बनाकर नीतीश सरकार के खिलाफ अभियान छेडा. उसका असर भी पड़ा . भले ही सरकार में  हो या  बाहर हो कहा तो यहां तक जाता है कि सारण में वो जो चाहेंगे वहीं होगा.

नीतीश से अनबन के कारण 2012 में जदयू से हटकर वे आरजेडी के टिकट पर महाराजगंज संसदीय सीट के लिए उपचुनाव लड़ें. प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में उन्होंने जदयू के मंत्री रहे  व बिहार के चर्चित वकील पी़ के शाही को करीब 1लाख30हजार से अधिक मतों से हराकर अपनी राजनीतिक प्रभुत्व का न सिर्फ लोहा मनवा दिया बल्कि देश के मीडिया के सामने ये बता दिया कि ‘लालू का तिलिस्म को जदयू -भाजपा  गठबंधन द्वारा  तोड़ना आसान नहीं है.’
बाहुबली छवि वाले इस नेता के दुश्मनी की भी सुर्खिंयां बनती रहीं हैॉ सांसद शहाबुद्दीन से नोंकझोंक हो या  पदाधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार  इनके लिए कोई नई बात नहीं है.

सारण प्रमंडल पर असर

प्रभुनाथ सिंह राजपूतों के प्रभावी नेता माने जाते हैं .खासकर सारण प्रमंडल में इनकी पकड. अच्छी है. सारण में  चार  लोकसभा सीट है और चारों पर इस समय बीजेपी के उम्मीदवार जीतेे हैं .इसीतरह विधानसभा सीटों की बात की जाए तो आरजेडी -जदयू- कांग्रेस गठबंधन का पलडा बीजेपी गठबंधन से भारी है.
ऐसे में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रभुनाथ सिंह के जेल जाने से कोई खास असर नहीं पड़ेगा .नाम नहीं छापने की शर्त पर छपरा के  एक प्रोफेसर का कहना है ,” अब टेरर नहीं शोबर व्यक्तित्व वाला नेता चाहिए ताकि आम जनता कभी भी बिना भय के जाकर मिल सके.”
बहरहाल,प्रभुनाथ सिंह की सजा से सारण प्रमंडल में आरजेडी की चुनावी गणित में जरूर असर पड़ेगा.

By Editor


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