मोदी सरकार में 21 नये मंत्रियों को शामिल किये जाने की गूंज में यह खबर दबती चली गयी कि मुम्बई से शिवसेना के नेता के रूप में चले सुरेश प्रभु दिल्ली पहुंचते ही भाजपा के नेता के रूप में रेल मंत्री बन गये.
यह घटना शिवसेना के लिए इतना बड़ा झटका साबित हुआ कि उसने मंत्रिमंडल में शामलि होने जा रहे अपने दूसरे नेता को अनिल देसाई को एयरपोर्ट से ही मुम्बई वापस बुला लिया.
भाजपा के इस रवैये से शिवसेना इतनी आहत हुई है कि अब वह महाराष्ट्र असेम्बली में विपक्ष की पार्टी के रूप में काम भूमिका निभाने की बात कह रही है.
इतना ही नहीं कहा तो यह जा रहा है कि भाजपा के इस कदम को शिवसेना ने बड़ा फरेब करार दिया है. अब शिवसेना जल्द ही खुद को एनडीए सरकार से अलग होने का फैसला कर सकती है. खबरों के अनुसार अनंत गीते जो उसके कोटे के केंद्र में मंत्री हैं जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंड से हटने वाले हैं. सेना के प्रवक्ता आनंद राव ने भाजपा के इस रवैये को अहंकार का प्रतीक बताया है.
हालांकि अंतिम क्षण तक शिवसेना ने भाजपा संग दोस्ती को बनाये रखने के लिए यहां तक कह दिया था कि अगर मोदी सुरेश प्रभु को मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहते हैं तो करें लेकिन वह इसे सेना के कोटे का मंत्री न गिनें.
दर असल मोदी सुरेश प्रभु की योग्यता से प्रभावित बताये जाते हैं और हर हाल में प्रभु को मंत्री बनाना चाहते थे चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले सुरेश प्रभु अटल बिहारी वापजेयी मंत्रिमंडल में भी मंत्री रह चुके हैं. वह 1998 से 2004 तक उद्योग मंत्री की भूमिका निभा चुके हैं. प्रभु 1996 से 2009 तक राजपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे हैं. यह क्षेत्र महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में आता है.