जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर अब पार्टी का आधार बढ़ाने में जुट गये हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को प्रशांत किशोर की निष्ठा पर कोई शक-शुबहा नहीं है। इसीलिए तो नीतीश ने प्रशांत को पार्टी का भविष्य बताया था। प्रशांत अब कार्यकर्ताओं को पार्टी में भविष्य दिखाने लगे हैं। एक लाख युवकों को पार्टी से जोड़ने का अभियान चला रहे हैं। इनमें से 15 हजार को चुनाव भी लड़ाया जाएगा। इसके साथ लोकसभा चुनाव में लड़ने वाली सीटों का फार्मूला भी उन्होंने बता दिया।
प्रशांत किशोर ने कहा कि 2004 व 2009 में जदयू 25 और भाजपा 15 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। भाजपा की सीटें बढ़ गयी हैं। 2009 वाली सीटें ही 2019 में भाजपा की होंगी। एकाध सीट का हेरफेर संभव है। बाकी 25 सीटों में लोजपा और जदयू बांट लेंगे। इसमें कोई विवाद नहीं है। पार्टी के नेता एक साथ बैठेंगे तो समाधान भी निकल आयेगा। प्रशांत किशोर ने 15 सीटों का हकदार बता कर भाजपा को औकात बता दी है। दो सीटों की अनुकंपा का बोझ भी भाजपा के माथे पर मढ़ दिया है। 2013 में भाजपा से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने अपना जनाधार खोया है। महागठबंधन से अलग होकर जदयू ने विश्वास भी खो दिया है। इसके बावजूद आज जदयू भाजपा पर भारी पड़ रही है तो यह भाजपा की संगठनात्मक विफलता का प्रमाण ही है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि 15 दिनों में दो-तीन दिन पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बैठेंगे और कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे। मीडिया वालों से भी मिलेंगे। पार्टी के आधार बढ़ाने की रणनीति पर काम करेंगे। प्रशांत किशोर की सक्रियता से पार्टी पदाधिकारियों की परेशानी बढ़ सकती है। लेकिन प्रशांत किशोर की परेशानी नीतीश कुमार से जनता का टूटता जनविश्वास है और जन आस्था को कायम करना ही प्रशांत की चुनौती है।