मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शांति का मार्ग अपनाने वाले सम्राट अशोक का उल्लेख करते हुये आज कहा कि प्रेम, सद्भावना और भईचारे के बल पर ही पाटलिपुत्र के प्राचीन गौरव को प्राप्त किया जा सकता है।
श्री कुमार ने यहां राजकीय कौमुदी महोत्सव का उद्घाटन करने के बाद कहा कि सम्राट अशोक युद्ध जीतने के बाद अपने अंदर एक दूसरे भाव को धारण कर बुद्ध के प्रति खुद को समर्पित कर दिया और चंडाशोक से धम्माशोक बने। अंततोगत्वा शांति ही सबसे बड़ी चीज होती है और कौमुदी महोत्सव उसी शिक्षा को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना सिटी पाटलिपुत्र है, यह ऐतिहासिक स्थल है। इसी स्थल से अभी के भारत से भी बड़े इलाके पर शासन का संचालन होता था। उन्होंने कहा कि आज पाटलिपुत्र का वह स्वरुप नहीं है। प्रेम, सद्भावना और भाईचारे के बल पर एक-दूसरे की इज्जत करते हुए फिर से उस गौरव को प्राप्त किया जा सकेगा।
श्री कुमार ने बताया कि कहा जाता है कि इसी इलाके में सम्राट अशोक प्रति वर्ष एक आयोजन करते थे, जिसमें करीब एक करोड़ लोग भाग लेते थे। यह महान भूमि है। उनकी सरकार ने सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र बनवाया है, जिसमें चंडाशोक से धम्माशोक के रूप में अशोक की सांकेतिक मूर्ति लगायी गई है। यहां सभ्यता द्वार बनाया गया है, जो अपने आप में विशिष्ट है। उन्होंने कहा कि यह ज्ञान की भूमि है, यहां शिक्षा के केंद्र के रुप में नालंदा एवं विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय रहे हैं।