बिहार प्रेस फ्रीडम मूवमेंट के बाद बुधवार को राष्ट्रीय जनता दल ने भी प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की बिहार के अखबारों पर आई रिपोर्ट पर नीतीश सरकार के खिलाफ हल्ला बोला है.
प्रेस काउंसिल की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के तुरंत बाद बिहार प्रेस फ्रीडम मूवमेंट ने पटना में प्रेस फ्रीडम मार्च का आयोजन किया था.
पढें- प्रेस परिषद रिपोर्ट: खतरे में है बिहार की पत्रकारिता
बुधवार को राष्ट्रीय जनता दल के लीडरों ने असेम्बली में इस रिपोर्ट पर जम के हंगामा किया और सरकार द्वार अखबारों पर अंकुश लगाने का पुरजोर विरोध किया और सदन के वेल तक पहुंच गये.
तीन दिन पहले बिहार नवनिर्माण मंच ने भी अखबारों को विज्ञापन के लालच में अभिव्यक्ति पर अंकुश लगाने के खिलाफ मंच के नेता उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में धरना दिया गया था.
प्रेस काउंसिल रिपोर्ट में नीतीश सरकार की तुलना इमर्जेंसी से की गई है और कहा गया है कि बिहार में निष्पक्षक पत्रकारिता करना असंभव है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि विज्ञापन के लोभ में मीडिया संस्थानों को राज्य सरकार ने बुरी तरह अपने चंगुल में जकड़ रखा है जिसके कारण पत्रकारों को स्वतंत्र और निषपक्ष खबर लिखना संभव नहीं हो पा रहा है.
सरकार के दबाव के कारण भ्रष्टाचार उजागर करने वाली खबरों को जगह नहीं पा रही है.कवरेज में विपक्ष की अनदेखी कर सत्तापक्ष की मनमाफिक खबरों को तरजीह दी जा रही है.
यहां तक कि इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बिहार में पत्रकारिता खतरे में है.
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुझाव दिया है कि विज्ञापन देने के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी का गठन किया जाना चाहिए जो विज्ञापन जारी करने के लिए स्वतंत्र हो.