विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष वेद प्रकाश ने वर्ष 2009 में तय किये नियम के पूर्व पीएचडी की डिग्री लेने वालों को व्याख्याता पद पर नियुक्ति में छूट देने से साफ इन्कार किया है । डॉ प्रकाश ने पटना में बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यूजीसी के वर्ष 2009 में मानक तय करने से पहले पीएचडी डिग्री लेने वालों को व्याख्याता पद पर नियुक्ति में किसी भी हालत में छूट नहीं दी जायेगी। इस मौके पर राज्‍यपाल रामनाथ कोविंद, शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डीएस गंगवार भी मौजूद थे।  gangavar

 

कुलपति के सम्‍मेलन में यूजीसी अध्‍यक्ष ने कहा  

यूजीसी के अध्यक्ष कहा कि वर्ष 2009 में मानक तय कर दिये जाने के बाद पीएचडी की डिग्री लेने वालों को ही व्याख्याता पद  पर नियुक्ति दी जायेगी । उन्‍होंने कहा कि जिसने वर्ष 2009 से पहले पीएचडी की डिग्री ली है उसे राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा(नेट) उत्तीर्ण करनी होगी । यह परीक्षा वर्ष में दो बार आयोजित की जाती है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी इस मामले में अपना फैसला सुनाया है। श्री प्रकाश के समक्ष जब कुछ कुलपतियों ने वर्ष 2009 से पहले पीएचडी करने वालों का पक्ष रखने का प्रयास किया तो उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जायेगा ।

 

वर्ष 2009 की सीमा रेखा

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने वर्ष 2009 से पहले पीएचडी की डिग्री ली है और वे योग्य हैं तो उन्हें नेट परीक्षा उत्तीर्ण करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। ऐसे अभ्यर्थी नेट परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए कई प्रयास कर सकते हैं। गौरतलब है कि बिहार में बड़ी संख्या में वर्ष 2009 में लागू किये गये नियम के पूर्व पीएचडी डिग्री धारक राज्य लोक सेवा आयोग के व्याख्याता पद के साक्षात्कार में शामिल होने की अनुमति देने के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं ।

By Editor


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