किसी बस्ती में यदि एक-दो लोग भीख मांगते दिखते हैं तो उसे सामान्य समझा जाता है,किंतु पूरी बस्ती के लोग यदि ऐसा कर रहे हों तो ये चीजें असहज लगती हैं. आइए देखें उस गांव की हकीकत.beggers
दीपक कुमार,सीतामढ़ी
 सीतामढ़ी जिला मुख्यालय डुमरा से महज ढाई किलोमीटर की दूरी पर स्थित मिर्जापुर पंचायत के फकीर टोला में कई पीढ़ियों से कुछ ऐसा ही चल रहा है। यहां की हर मौजूदा पीढ़ी आने वाली पीढ़ी को जाने अनजाने भीख मांगने का प्रशिक्षण देती है. और भीख मांगने का यह सिलसिला चलता रहता है.
सुबह होते ही यहां के लोग भीख मांगने निकल पड़ते हैं। शाम होते-होते घर लौट आते हैं। पूरे दिन में जो कुछ हासिल हुआ,वे उसे रात को सपरिवार ग्रहण करते हैं।हालांकि नयी पीढ़ी के बच्चे इस में बदलाव लाना चाहते हैं।
करीब 150 की आबादी वाले फकीर टोले में कई पीढ़ी से भीख मांगने की परंपरा है। इस बारे में जुमराती साह (60) कहते हैं कि मेरे दादाजी भीख मांगकर गुजारा करते थे। धीरे-धीरे परिवार बढ़ता गया और आज यह टोला बन गया है। भीख मांगने के कारण ही इस टोले का नाम फकीर टोला पड़ा।
नयी पीढ़ी के बच्चे इस पेशे को बदलना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने मजदूरी आरंभ किया है। हालांकि आज भी अधिकतर लोग भीख ही मांगते हैं।
शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के बाद भी वे भीख मांग कर गुजारा करते हैं। जब भी कोई अपरिचित इस टोले में प्रवेश करता है तो पूरे टोले के लोग जुट जाते हैं और उससे पैसे मांगते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ लोग सीतामढ़ी तक भीख मांगने पहुंच जाते हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
डुमारा के बीडीओ संजय कहते हैं कि फकीर टोला के पात्र लोगों को सभी सरकारी सहायता दी जाती रही है। इनलोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
मुखिया बोली-  पंचायत की मुखिया चंदा श्रीवास्तव कहती हैं कि   फकीर टोला के लोगों को हर संभव सहायता दी जा रही है। लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना,पेंशन योजना,इंदिरा आवास योजना आदि से लाभान्वित किया गया है। पेयजल की सुविधा भी उपलब्ध करायी गई है। अब यहां के लोग भी मेहनत-मजदूरी करने लगे हैं। उम्मीद है कि शेष लोग भी जल्द ही ऐसा करने लगेंगे।
 

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427