भले ही पिछले दिनों पहले मोतिहारी के हरसिद्धि में फर्जी प्रमाण पत्र पर कार्यरत के 25 शिक्षकों के नियोजन रद्द होने की खबर आयी लेकिन नियोजन इकाई, डीईओ के इस आदेश को अभी तक अमली जामा नहीं पहनाया है.
इस आदेश पत्र में पूर्वी चंपारण के डीईओ रामनंदन प्रसाद ने स्पष्ट कहा है, जांच से सपष्ट है कि उपरोक्त सभी शिक्षक फर्जी प्रमाण पत्र पर कार्यरत हैं. इसलिए इनका नियोजन रद्द कर प्राथमिकी दर्ज करने और वित्तीय वसूली करने की बात अमल में नहीं आयी है.
चूकि बीडीओ प्रखंड नियोजन इकाई का सचिव होता है. इसलिए नियोजन रद्द करने का अंतिम अधिकारी वहीँ हैं. सूत्रों की मानें तो पिछले महीने दिसम्बर में ही बीडीओ को यह आदेश पत्र मिला गया था. बावजूद इसके अभी तक दोषियों पर कार्रवाई ना होना कई सारे सवालों को जन्म देता है.
गौरतलब है कि वर्ष 2006 तक जितने भी प्राथमिक नवसृजित केंद्र थे. उसमे नियोजित लोक शिक्षक पढाते थे. नियोजन वर्ष 08-10 में बड़े पैमाने पर मध्य विद्दालयों में शिक्षक नियोजन की रिक्ति निकली. इसमें सरकार ने नियम बनाया कि लोक शिक्षकों की नियुक्ति में 20 प्रतिशत का वेटेज दिया जाएगा. लेकिन प्रखंड शिक्षा कार्यालय में फैले माफिया तंत्र ने विभिन्न प्रदेशों के संस्थानों से जारी फर्जी प्रमाण पत्रों को बेंचा. एक ही प्रमाण पत्र की स्कैन कॉपी लगाकर कई शिक्षकों का नियोजन किया गया.
इन फर्जी डिग्रीधारियों के कारण नियोजन के असली हकदार योग्य लोक शिक्षक बहाली से वंचित रह गए. और अयोग्य अभ्यर्थियों ने नियोजन इकाई से सांठ-गांठ कर नियोजन करा लिया.
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब स्थानीय वंचित लोक शिक्षक अभ्यर्थियों चंद्रेश्वर सहनी व हरेश सिंह ने इलाहाबाद, वाराणसी, जौनपुर (सभी उत्तर प्रदेश) आदि जगहों से सूचना के तहत जानकारी मंगाई. और डीईओ, डीएम को इसकी जानकारी भी दी. हालांकि हरसिद्धि में ही अभी दो सौ शिक्षकों के फर्जी प्रमाण पत्र पर कार्यरत होने का अनुमान है. और पूरे जिले में यह संख्या पांच हजार हो सकती है.
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