भाजपा बिहार में इस बार भी अपने कम्युनल चरित्र से बाहर न आ पायी. पौने दो करोड़ मुस्लिम आबादी वाले प्रदेश में उसने अपने पोस्टर ब्वॉय शाहनवाज के अलावा किसी को टिकट नहीं दिया.
इर्शादुल हक, सम्पादक नौकरशाही डॉट इन
अब तक नरेंद्र मोदी बिहार में तीन रैलियां कर चुके हैं. इन तीन की तीन रैलियों में उन्होंने मुसलमानों पर केंद्रित भाषण दिया. उन्होंने विकास की बात की. विकास के मोदी मॉडल की बात की. विकास का मोदी मॉडल क्या होता है, भाजपा ने अपने टिकट वितरण से इसकी झलक दिखा दी है. वह राज्य के 30 लोकसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ रही है.
जिस एक मुस्लिम चेहरे को टिकट मिला है उसमें पोस्टर ब्वॉय के रूप में ठीक वही एक मुस्लिम नाम है जो पिछले 15 सालों से पार्टी के माथे पर चस्पां है, यानी शाहनवाज हुसैन. शाहनवाज भागलपुर से उम्मीदवार बनाये गये हैं.
ऐसी पार्टी जो सत्ता पाने के लिए अति उत्साह में है. जो अपने साम्प्रदायिक चरित्र को पूरी तरह बिसारने का आभास करा रही है. कह रही है कि वह विकास के रिकॉर्ड और भ्रष्टाचार के खात्मे के नारे के नाम पर वह सत्ता में आयेगी. पर उसने पौने दो करोड़ मुस्लिम आबादी वाले प्रदेश में शाहनवाज के अलावा किसी दूसरे मुस्लिम चेहरे को अपने पास फटकने तक नहीं दिया.
नरेंद्र मोदी की पटना , मुजफ्फरपुर और पूर्णिया की रैलियों में भाजपा ने मुस्लिम मतदाताओं को खोज-खोज कर जमा किया था. उसने दावा भी किया कि हजारों की संख्या में मुस्लिम भाइयों ने मोदी के समर्थम में अपनी हाजिरी लगायी. यही भारतीय जनतापार्टी का विरोधाभासी चरित्र है. उसे मुसलमानों का वोट तो चाहिए, पर मुस्लिम जनप्रतिनिधि नहीं चाहिए, 30 सीटों के टिकट वितरण का यही उसका समाजशास्त्र है.
अभी ताजा घटनाक्रम में भाजपा ने जिस तरह से साबिर अली को पार्टी में शामिल किया और 24 घंटे में अपमानित करके पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया यह दर्शाता है कि पार्टी मुसलमानों के प्रति क्या सोच रखती है. एक ऐसे मुस्लिम नेता को जिसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं, आतंकवाद से जुड़ा कोई आरोप नहीं उन्हें न सिर्फ अपमानित किया गया बल्कि आतंकवाद से जोड़ कर बैरंग वापस कर दिया गया. यह भाजपा के मुस्लिम विरोधी चरित्र को फिर से ताजा कर गया है.
पर सवाल यह है कि क्या ऐसे विरोधाभासी चरित्र को दर्शाने वाली पार्टी को मुसलमान अपना समर्थन देंगे? खासकर तब जब राष्ट्रीय जनता दल ने अपने कोटे की 27 सीटों में से 6 मुसलमानों को टिकट दिया है यानी 22.2 प्रतिशत टिकट. बिहार में 17.5 प्रतिशत मुसलमान हैं. हालांकि राजद ने जिन 6 मुस्लिमों को उम्मीदवार बनाया है वे सबके सब अगड़ी जाति यानी अशराफिया हैं. उसने एक भी पसमांदा मुसलमान को टिकट नहीं दिया.
राजद, जदयू का गणित
दूसरी तरफ मुसमानों के वोट को आकर्षित करने वाली दूसरी पार्टी जनता दल यू है. हालांकि अभी तक उसने आधिकारिक तौर पर अपने तमाम 28 उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की है. पर लगभग तय है कि वह शिवहर, अररिया, भागलपुर, किशनगंज, मधुबनी समेत कम से कम 5 या फिर 6 मुस्लिम उम्मीदवार उतारेगी. प्रतिशत के हिसाब से यह आंकड़ा 20 के आसपास हो जायेगा.
ऐसे में जब तमाम पार्टियां मुस्लिम वोट के साथ साथ मुस्लिम नुमाइंदगी के लिए भी संवेदनशील हैं तो यह लाजिमी सवाल है कि क्या भारतीय जनता पार्टी की यह अपील कि मुस्लिम मतदाता उससे जुडें, जुड़ पायेंगे क्या?
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