जब भी महागठबंधन सरकार में आपसी रस्साकशी होती है तो दोनों दलों के दूसरी-तीसरी पंक्ति के नेता रस्साकशी का तमाशा करते हैं. फिर यही तमाशा राजद-जदयू के बीच शुरू हो गया है.
राद से रघुवंश प्रसाद सिंह ने जद यू पर हमला करते हुए कहा कि नोटबंदी पर अलग स्टैंड लेना कौन सा गठबंधन धर्म है तो दूसरी तरफ जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि रघुवंश गठबंधन तोड़ना चाहते हैं.
दोनों दलों के बीच समय-समय पर रस्साकशी होती है और अंत में दोनों दलों के वरिष्ठ नेता सामने आते हैं और अपने-अपने नेताओं को जुबान पर लगाम देने को कह देते हैं और मामला रफा-दफा हो जाता है.
दर असल इससे पहले रघुवंश प्रसाद सिंह नोटबंदी पर जद यू के स्टैंड पर सवाल खड़ा किया था. तो संजय सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद उनके खिलाफ कार्रवाई करें.
गौरतलब है कि पिछले एक साल में ऐसा पांच-छह बार हो चुका है जब गठबंधन के बीच दोनों दलों के नेता आपसी तकरार करते हैं. अगर इन तकरारों पर ध्यान दें तो ऐसा लगता है कि दोनों दलों के नेताओं को अपने-अपने सुप्रिमों की तरफ से सह दिया जाता है तब ही वे बात-बात उलझ जाते हैं.
ऐसा लगता है कि जब किसी मुद्दें पर दोनों दलों के वरिष्ठतम नेताओं के बीच संवाद की कमी हो जाती है तो ऐसे में एक दूसरे को निशाना बनाने के लिए अपने-अपने सिपहसालारों को उक्सा दिया जाता है. लेकिन दोनों दलों को पता होता है कि ऐसी बयानबाजियों से भाजपा जैसे विरोधी दलों को मौका मिल जाता है और वे इस मामले में हमला करने लगते हैं.
इन्ही कारणों से पिछले दिनों दोनों दलों ने एक संयुक्त समिति बनायी थी ताकि वे आपसी तालमेल से अपनी बात उचित फोरम पर उठा सकें. इसके लिए कांग्रेस समेत महागठबंधन के तीनों दलों के नेता कार्यकर्ताओं के साथ निश्चित समय पर मीटिंग करने पर भी सहमत हुए हैं. लेकिन रघुवंश प्रसाद सिंह और जद यू के प्रवक्ता संजय सिंह के बीच कहा-सुनी फिर हो गयी है.
इतना तो तय है कि यह विवाद बहुत आगे बढ़ने से पहले ही रोक लेने के लिए दोनों दलों के नेता फिर आगे आयेंगे.