हिंदी फिल्म जगत में मशहूर कलाकार मनोज कुमार का आज 24 जुलाई को जन्म दिन है। उन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर भारतीय सिनेमा को नयी दिशा दी। उन्होंने कई यादगार फिल्में भी दीं और कुछ गाने भी कालजयी बन गये।
राजस्थान से रमेश सर्राफ
हिंदी फिल्म जगत में मनोज कुमार को एक ऐसे नायाब कलाकार के तौर पर जाना जाता है, जिन्होंने फिल्म निर्माण की प्रतिभा के साथ-साथ निर्देशन,लेखन, संपादन और बेजोड़ अभिनय से भी दर्शकों के दिल में अपनी खास पहचान बनायी है। वर्ष 1957 से 1962 तक मनोज कुमार फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिये संघर्ष करते रहे। फिल्म फैशन के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली, वह उसे स्वीकार करते चले गये। इस बीच उन्होंने कांच की गुडिय़ा, रेशमी रूमाल, सहारा, पंचायत, सुहाग सिंदूर, हनीमून, पिया मिलन की आस जैसी कई बी ग्रेड फिल्मों में अभिनय किया। लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स आफिस पर सफल नहीं हुयी।
1962 हरियाली और रास्ता 1964 वो कौन थी, 1965 शहीद हिमालय की गोद में,गुमनाम 1966 दो बदन, सावन की घटा,साजन,1967 पत्थर के सनम, अनीता, उपकार,1968 नील कमल, आदमी,1970 पूरब और पश्चिम यादगार, पहचान शोर, बेईमान, रोटी कपडा और मकान, संन्यासी, दस नम्बरी, क्रांति, साल दर साल हिट फिल्में देने वाले मनोज कुमार हमेशा विवादों से दूर रहे। कभी नायकों-नायिकाओं के साथ उनका नाम नहीं जुड़ा। 76 साल के मनोज कुमार आज कल बीमार चल रहे हैं । फिल्म शहीद में मनोज कुमार शहीद में भगत सिंह के किरदार में नजर आये फिल्म उपकार उनके चरित्र का नाम भारत था। बाद में भारत कुमार के नाम फिल्म इंडस्ट्री में मशहूर हो गये।
मनोज कुमार का असली नाम नाम हरिकिशन गिरी गोस्वामी है । उनका जन्म 24 जुलाई 1937 में एट्वाबाद(अब पकिस्तान) में हुआ था। वह जब दस वर्ष के थे। बटवारें की वज़ह से उनका पूरा परिवार राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में आकर बस गया। बचपन के दिनों में मनोज कुमार ने दिलीप कुमार की फिल्म शबनम देखी थी। फिल्म में दिलीप कुमार के किरदार का नशा मनोज कुमार पर चढ़ गया कि उन्होंने भी फिल्म अभिनेता बनने का फैसला कर लिया। मनोज कुमार ने अपनी स्नातक की शिक्षा दिल्ली के मशहूर हिंदू कॉलेज से पूरी की, इसके बाद बतौर अभिनेता बनने का सपना लेकर वह मुंबई आ गये। बतौर अभिनेता मनोज कुमार ने अपने सिने करियर की शुरूआत वर्ष 1957 में रिलीज़ फिल्म फैशन से की। कमजोर पटकथा और निर्देशन के कारण फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह से नकार दी गयी।
मनोज कुमार के अभिनय का सितारा निर्माता-निर्देशक विजय भट्ट की वर्ष 1962 में प्रदर्शित क्लासिक फिल्म हरियाली और रास्ता से चमका। फिल्म में उनकी नायिका की भूमिका माला सिन्हा ने निभायी। बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की कामयाबी ने मनोज कुमार को स्टार के रूप में स्थापित कर दिया। आज भी इस फिल्म के सदाबहार गीत दर्शकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। वर्ष 1964 में मनोज कुमार की एक और सुपरहिट फिल्म वो कौन थी प्रदर्शित हुई। फिल्म में उनकी नायिका की भूमिका साधना ने निभायी।
साल 1965 में मनोज कुमार की सुपरहिट फिल्म गुमनाम और दो बदन भी रिलीज़ हुई। इस फिल्म में रहस्य और रोमांस के ताने-बाने से बुनी, मधुर गीत-संगीत और ध्वनि का कल्पनामय इस्तेमाल किया गया था। इस फिल्म में हास्य अभिनेता महमूद पर फिल्माया यह गाना ‘हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं’ दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था। साल 1965 में मनोज कुमार शहीद में भगत सिंह के किरदार में नजर आये। वर्ष 1967 में रिलीज़ फिल्म उपकार से मनोज कुमार निर्माता-निर्देशक बने। यह फिल्म स्व.प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जय जवान जय किसान के नारे पर आधारित थी,मनोज कुमार ने किसान की भूमिका के साथ ही जवान की भूमिका में भी दिखाई दिये। फिल्म में कल्याणजी आंनद जी के संगीत निर्देशन में गायक महेन्द्र कपूर की आवाज में गुलशन बावरा रचित यह गीत ‘मेरे देश की धरती सोना उगले-उगले हीरा-मोती’ श्रोताओं के बीच आज भी शिद्धत के साथ सुने जाते है। वर्ष 1970 में मनोज कुमार के निर्माण और निर्देशन में बनी एक और सुपरहिट फिल्म पूरब और पश्चिम प्रदर्शित हुयी। फिल्म के जरिये मनोज कुमार ने एक ऐसे मुद्दे को उठाया, जो दौलत के लालच में अपने देश की मिट्टी को छोडक़र पश्चिम में पलायन करने को मजबूर हैं।
वर्ष 1972 में मनोज कुमार के सिने करियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म ‘शोर’ प्रदर्शित हुई। वर्ष 1974 में प्रदर्शित फिल्म रोटी, कपड़ा और मकान मनोज कुमार के करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है । वर्ष 1976 में प्रदर्शित फिल्म दस नंबरी की सफलता के बाद मनोज कुमार ने लगभग पांच वर्षो तक फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर लिया। वर्ष 1981 में मनोज कुमार ने फिल्म क्रांति के जरिये अपने सिने करियर की दूसरी पारी शुरू की। मनोज कुमार ने अपने दौर के सभी नायकों और नायिकाओं के साथ काम किया। राजेंद्र कुमार और राजेश खन्ना के दौर में भी वो कामयाब रहे और1962 से लेकर 1981 तक सुपर हिट फिल्में देते रहे।
अपने सिने करियर में मनोज कुमार सात फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किये गये है। वर्ष 1967 में प्रदर्शित फिल्म उपकार के लिये उन्हें सर्वाधिक चार फिल्म फेयर पुरस्कार दिये गये, जिनमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म, निर्देशन, कहानी और डॉयलाग का पुरस्कार शामिल है। इसके बाद वर्ष 1972 में प्रदर्शित फिल्म बेईमान, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता 1974 में प्रदर्शित फिल्म रोटी कपड़ा और मकान, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, वर्ष 1998 में लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से भी मनोज कुमार को सम्मानित किया गया। 1992 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 2008 में उन्हें स्टार स्क्रीन लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया। 2009 में दादा साहेब फाल्के अकादमी द्वारा फाल्के रत्न पुरस्कार दिया गया। 2012 संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यू जर्सी शहर में उन्हें भारत गौरव पुरस्कार दिया गया। 2013 में जागरण फिल्म महोत्सव में उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।