मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच नाक की लड़ाई अब न सिर्फ दोनों नेताओ बल्कि छह पूर्व मुख्यमंत्रियों को भारी पड़ने वाली है. और अब तय लग रहा है कि सभी मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करना पड़ सकता है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच नाक की लड़ाई अब न सिर्फ दोनों नेताओ बल्कि छह पूर्व मुख्यमंत्रियों को भारी पड़ने वाली है. और अब तय लग रहा है कि सभी मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करना पड़ सकता है.
पटना हाई कोर्ट ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस भेज कर पूछा है कि क्यों ना उन्हें सरकारी बंगलों से बेदखल कर दिया जाये. गौर तलब है कि सरकार ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगला आवंटित कर रखा है. इस सूची में खुद नीतीश कुमार भी शामिल हैं क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से उन्हें आवंटित बंगला अब भी उनके कब्जे में है.
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दर असल बिहार में यह विवाद तब शुरू हुआ जब तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री का पद गंवाना पड़ा और उसके बाद भवन निर्माण विभाग ने उपमुख्यमंत्री के लिए आवंटित आवास खाली करने को कहा. इसके बाद 2016 में तेजस्वी यादव ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दे दी. कई सुनवाइयों के बाद पिछले दिनों जब विभाग के अधिकारी तेजस्वी के बंगले को खाली कराने के लिए आये तो उन्हें वापस जाना पड़ा क्योंकि उनके समऱ्थकों ने यह कहते हुए खाली करने से मना कर दिया कि मामला अदालत में है.
लेकिन अब मुख्य न्याधीश एपी शाही और अंजना मिश्रा की पीठ ने बंगले को खाली करने का आदेश दे दिया है.
लेकिन इस कानूनी उठापटक का सबसे ज्यादा नुकसान अनेक पूर्व मुख्यमंत्रियों को उठाना पड़ेगा. क्योंकि अब पटना हाईकोर्ट की इस बेंच ने छह पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी करके पूछा है क्यों ना उनके आवास को खाली करवा लिया जाये. अदालत ने इस मामले में उत्तरप्रदेश का भी उदाहरण दिया है.
उत्तरप्रदेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई 2018 को दिये अपने फैसले में कहा था कि चूंकि सरकारी आवास, भूमि और कार्यालय ये सब पबल्कि प्रोपर्टी है ऐसे में पद छोड़ने के बाद इसे पब्लिक के हवाले किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि डाक्ट्रीन ऑफ इक्वालिटी एक सिद्धांत है जो समानता पर आधारित है. इसलिए किसी भी संसाधन पर कोई व्यक्ति स्थाई रूप से अपनी मिलकियत में नहीं रख सकता.
यूपी के छह पूर्व मुख्यमंत्रियों को किया जा चुका है बेदखल
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद मुलायम सिंह यादव, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह, मायावती, नरायण द्त्त तिवारी और अखिलेश यादव को अपने आवास खाली पड़ने थे.
यूं तो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित सरकारी आवास के मामले में अगली सुनवाई 11 जनवरी को होगी लेकिन अदालत के रुख और उसके द्वारा पेश किये जा रही मिसाल से ऐसा लगने लगा है कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास खाली करना ही पड़ेगा.
अगर हाई कोर्ट ने यह आदेश जारी कर दिया तो जीतन राम मांझी, लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, जगन्ननाथ मिश्रा और खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसका खामयाजा भुगतना पड़ेगा. क्यों नीतीश कुमार ने बीच के कुछ महीने तक मुख्यमंत्री का पद छेड़ा था तो उन्होंने भी अपने लिए सरकारी आवास आजीवन आवंटित करवा लिया था.