श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बंडारू दत्तात्रेय ने आज दिल्‍ली में राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के साथ मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों के अमल की स्थिति पर समीक्षा बैठक की. माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले को ध्यान में रखते हुए मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों से संबंधित मुद्दों पर आयोजित इस बैठक में मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों पर अमल की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाली गई है. इस बैठक के दौरान इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को भी वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट, 1955 के दायरे में लाने पर चर्चाएं हुईं. राज्य सरकारों से अनुरोध किया गया कि वे इस बारे में अपनी राय पेश करें.

नौकरशाही डेस्‍‍क

उल्‍लेखनीय है कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने 19 जून, 2017 को सुनाए गए अपने फैसले में कहा कि मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को पूर्ण रूप से लागू किया जाना है. माननीय न्यायालय ने चार महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्थिति साफ की. इनमें मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों के मुताबिक वेतन का भुगतान, अनुच्छेद 20(जे), परिवर्तनीय वेतन की स्वीकार्यता और ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए भी इन सिफारिशों को लागू मानने के साथ-साथ बकाया रकम की अदायगी के लिए समाचार पत्र संस्थानों की वित्तीय क्षमता शामिल हैं.

बता दें है कि केन्द्र सरकार वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट, 1955 की क्रमशः धारा 9 और धारा 13सी में निहित प्रावधानों के अनुसार आवश्यकता पड़ने पर कार्यरत पत्रकारों और गैर-पत्रकार समाचारपत्र कर्मचारियों के लिए वेतन बोर्डों का गठन करती रही है. इस तरह के पिछले वेतन बोर्ड अर्थात मजीठिया वेतन बोर्ड का गठन श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा 24 मई, 2007 को किया गया था. बोर्ड ने 31 दिसम्बर, 2010 को सरकार को अपनी सिफारिशें पेश कर दी थीं. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने उपर्युक्त अधिनियम की धारा 12 के तहत मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को 11 नवम्बर, 2011 को अधिसूचित किया था, जिसके लिए 2011 की डब्ल्यू.पी. (सी) संख्या 246 पर फैसले को ध्यान में रखा जाना था. माननीय उच्चतम न्यायालय ने 7 फरवरी, 2014 को मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को सही ठहराया.

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427