सामाजिक संस्था संभावना ने सामाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं को संभावना सम्मान से नवाजा है. इस अवसर पर समाज निर्माण में महिलाओं की भूमिका पर गोष्ठी भी आयोजित की गयी.sambhavna

संभावना का यह समारोह नयी दिल्ली मं 12 मार्च को आयोजित किया गया.

संभावना की प्रबल मान्यता है कि वैदिक काल से लेकर आज 2014 तक समाज के निर्माण व परिवार की समृद्धि में महिलाओं की भूमिका हमेशा ही अग्रणी रही है। वैदिक काल की विदूषी नारियां अपाला, घोषा, मैत्रेयी, गार्गी से लेकर वर्तमान समय में वे समंदर की गहराईयों से लेकर आकाश की बुलंदियों तक सभी जगह अपनी सफलता के परचम लहरा रहीं हैं।

संभावना सम्मान समारोह के अवसर पर संस्था की तरफ से समाज निर्माण में महिलाओं की भूमिका पर एक गोष्टी का भी आयोजन किया गया। जिसमें सुनीता पाठक, डाक्टर सईद मुबीन जेहरा, कनकमल डुगर, डा रहीस सिंह ने अपने विचार व्यक्त किए इस गोष्टी की अध्यक्षता मेजर जरनल पीके सहगल ने की।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यसभा सदस्य हुसैन दलवई ने संस्था को शुभकामनाएं देते हुए सम्मानित होने वाली महिलाओं को भी बधाई दी और कहा कि संस्था पिछले काफी समय से सराहनीय कार्य कर रही है, जिसके लिए संभावना की अध्यक्ष आशा मोहिनी व संस्था की पूरी टीम बधाई की पात्र हैं।

कथक नृत्यांगना उमा शर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं पिछले काफी समय से संभावना संस्था से जुड़ी हुई हूं और मुझे खुशी है कि संस्था न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि स्वास्थ्य, पर्यावरण समेत दूसरे कई क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय कार्य कर रही है। अपने व्यक्तिगत जीवन के अनुभव को बांटते हुए उमा शर्मा ने कहा कि महिलाओं पर हमेशा से पाबंदी रही है। उन्होंने कहा कि मेरी इच्छा है कि संस्था दिल्ली से बाहर निकलकर भी कुछ कार्य सामाजिक सेवा के क्षेत्र से जुड़े काम करे.

पुखराज देवी दुग्गड़ ने कहा कि समाज में पुरुषवादी मानसिकता हावी है, एक पति अपनी पत्नी की बच्चों के सामने हत्या कर देता है और वह बच्चा समाज की अंधेरी गलियों में गुम हो जाता है।
संभावना का परिचय देते हुए दिनेश तिवारी ने कहा कि हालांकि संस्था के पास फंड की कमी लगातार बनी रहती है लेकिन हौंसलों की कमी कतई नहीं है यही वजह है कि संस्था धनाभाव की समस्या से जुझतेहुए अपने कार्यक्रम को अंजाम दे पाती है।

इन्हें मिला सम्मान

संभावना सम्मान समारोह में निर्मला सेवानी नक्षत्र विज्ञान, श्रीमति पुखराज देवी समाज सेवा, रश्मि अग्रवाल गजल व सूफी गायन, डा सईद मुबिन जेहरा, इंदु डांग कैमरा मैन, रेणु गुप्ता व्यवसाय, अनिता जैन शिक्षा एवं भारती पांडेसमेत 7 पुरुषों को भी सम्मानित किया गया।

गोष्टी में सुनीता पाठक ने अपने विचार रखते हुए कहा कि समाज में समरसता तभी स्थापित हो सकती है जब महिलाओं को समानता का हक मिले ।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गोष्टी के मुख्य वक्ता डाॅ रहीस सिंह ने कहा कि महिलाओं के बिना हम समाज की कल्पना ही नहीं कर सकते। वैदिक काल को आज भी महिला अधिकारों के स्वर्णिम युग के रूप में देखते हैं। लेकिन जैसे-जैसे समय बदला महिलाओं की स्थिति में भी परिवर्तन आने लगा। लेकिन आज इस बात पर भी गौर करना जरूरी है कि महिलाओं का एग अलग वर्ग न बना दिया जाए। और इस वर्ग का संघर्ष पुरुष से ही होने लगे। आईएएसई विश्वविद्यालय के चांसलर कनकमल डूगर ने कहा कि मां ही व्यक्ति की प्रथम गुरु होती है। हम स्कूलों और विश्वविद्यालयों में जो भी पाठ सीखते हैं वह समय के साथ भूल जाता है, मगर मां की सिखाई हर बात जीवन भर याद रहती है।

कार्यक्रम के अध्यक्ष मेजर जरनल पीके सहगल ने देश की वर्तमान महिलाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं बावजूद इसके यह बहुत आवश्यक है कि उनके सशक्तिकरण पर ध्यान दिया जाए।

By Editor


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