बगैर रजिस्ट्रेशन के प्लास्टिक के बैग में ग्राहकों को नहीं दे सकेंगे सामान

-सामान देने से पूर्व कराना होगा रजिस्ट्रेशन, पॉलीथिन विक्रेता, वितरक और फुटकर दुकानदारों को अब 50 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक कैरी बैग इस्तेमाल करने से पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके लिए मासिक शुल्क चार हजार और वार्षिक 48 हजार रुपये देने होंगे.
पटना
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बगैर रजिस्ट्रेशन के प्लास्टिक के बैग में ग्राहकों को नहीं दे सकेंगे सामान

राजधानी में आप बगैर रजिस्ट्रेशन के प्लास्टिक के कैरी बैग में ग्राहकों को सामान नहीं दे सकेंगे. प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली 2016 के बावजूद शहर में धड़ल्ले से फुटकर दुकानदारों द्वारा प्लास्टिक के कैरीबैग का इस्तेमाल किया जा रहा है. जबकि, नियमावली के अनुसार पॉलीथिन विक्रेता, वितरक और फुटकर दुकानदारों को अब 50 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक कैरी बैग इस्तेमाल करने से पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके लिए मासिक शुल्क चार हजार और वार्षिक 48 हजार रुपये देने होंगे. तभी वे ग्राहकों को 50 माइक्रोन के प्लास्टिक के कैरी बैग में समान बेच सकेंगे. इसके लिए उन्हें संबंधित नगर निकायों से रजिस्ट्रेशन कराना होगा.

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2011 के नियमावली में बदलाव कर नयी नियमावली 2016 लायी गयी है. इसके तहत संबंधित नगर निकायों से रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसकी जिम्मेवारी नगर निगम, नगर परिषद नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों को दी गयी है. साथ ही कैरी बैग के उत्पादन व उसकी रिसाइकलिंग के लिए बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के के अनुसार नयी नियमावली के अनुसार 50 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. इससे कम माइक्रोन के प्लास्टिक को अवैध माना गया है. साथ ही ऐसे दुकानदार जो प्लास्टिक का कैरी बैग देना चाहते हैं, वह नगर- निगम से निबंधन कराये बगैर उसे नहीं दे सकते हैं. उन्हें 50 माइक्रोन के कैरी बैग को देने से पूर्व निबंधन कराना होगा. इसके लिए मासिक चार हजार और वार्षिक 48 हजार रुपये शुल्क देने होंगे. इसके अलावा प्रत्येक कैरी बैग के ऊपर प्लास्टिक की मोटाई, उसके उत्पादनकर्ता का नाम व निबंधन संख्या दर्ज कराना होगा, तभी मान्य होगा. एेसा नहीं करने वाले विक्रेता, वितरक व दुकानदार को नियमों के पालन नहीं करने के विरोध में सजा मिल सकती है.
पांच वर्ष की सजा का है प्रावधान :
ठोस व प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत वैधानिक दायित्वों का सख्ती से पालन किया जाना है. इसकी धारा 15 के तहत पांच वर्ष का कारावास व एक लाख तक जुर्माना भी निर्धारित है. कचरों काे वर्गीकरण के मुताबिक चार अलग-अलग थैलों में उसे रखा जाना है. साथ ही उसे डिस्पोजल किया जाना है. वैज्ञानिक पदाधिकारी डाॅ नवीन कुमार ने बताया कि नयी नियमावली के अनुसार 50 माइक्रोन तक की मोटाई के प्लास्टिक का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे कम माइक्रोन के प्लास्टिक को अवैध माना गया है.

By Editor


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