उच्चतम न्यायालय ने बच्चों के साथ दुष्कर्म और यौन अत्याचारों जैसे जघन्य अपराधों के लिए सजा को और सख्त बनाए जाने पर जोर देते हुए सरकार और संसद से इस पर गंभीरता से विचार करने को कहा है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने महिला वकीलों के संघ की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। न्यायालय ने यह भी कहा कि कोई भी नया कानून बनाते वक्त दुष्कर्म के संदर्भ में बच्चों की एक निश्चित परिभाषा भी तय की जानी चाहिए।
महिला वकीलों की ओर से दायर याचिका में बच्चों के साथ दुष्कर्म और यौन अत्याचार करने वाले अपराधियों को नपुंसक बनाने जैसी सख्त सजा के प्रावधान का अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि बच्चों के साथ जघन्य अपराध करने वालों को नपुंसक बना देना ही सबसे उचित सजा होगी। न्यायालय ने सख्त सजा का समर्थन करने के बावजूद याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील महालक्ष्मी पवनी से कहा कि किसी सख्त सजा के लिए कानून बनाते वक्त संवेदनाओं और भावनाओं को आधार नहीं बनाया जा सकता और वैसे भी वह इस मामले में केवल अपने सुझाव दे सकता है, क्योंकि कानून बनाना संसद के अधिकार क्षेत्र का मामला है। वह उसके सुझाव को स्वीकार करे या नहीं करे, यह उसे तय करना है।