मोतिहारी के हरसिद्धि प्रखंड में ऐसे 26 लगों के प्रमाण पत्र नकली हैं जिन्हें शिक्षक की नौकरी मिल गयी, चौंकाने वाली बात तो यह है कि इसकी खबर अधिकारियों को भी है. यहां देखिए वो कौन हैं 26 लोग.
इन्तेजारुल हक, मोतिहारी से
शिक्षक नियोजन 2006-08 में की गयी धांधली व फर्जी डिग्री के आधार पर हुई शिक्षको की बहाली की जांच आखिर क्यों नही हो रही है और जिला प्रशसन उन पर मेहरबान क्यों है?
प्रशासनिक पदाधिकारियों व शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मंशा इस के पिछे क्या है और बार-बार शिकायती आवेदन जनता द्वारा सौंपे जाने के बावजूद उसे ठण्डे बस्ते में क्यों डाल दिया जाता है?
पूर्वी चम्पारण जिले में इन दिनों यह खास चर्चा का विषय बना हुआ हैं कि जाली डिग्री के आधार पर शिक्षक बन हजारों -लाखों बच्चों की तकदीर संवारने की जिम्मेदारी लेक कर नौकरी करने वालों पर कार्रवाई क्यों नही?
लोग तरह-तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं और अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध बताने लगे हैं।यहां शिक्षक नियोजन में किस तरह से धांधली हुई है और सारे नियमों व विभागीय आदेशों की धज्जिया उड़ाते हुए योग्य अभ्यर्थियों को दरकिनार कर फर्जी डिग्रीधारियों को शिक्षक बनाया गया है उस का ज्वलन्त उदहारण पूर्वी चम्पारण जिले का हरसिद्धि प्रखण्ड है।
ये हैं 26 नकली शिक्षक
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गयी सूचना के अनुसार,जो दास्तवेज मिले हैं उसमें केवल हरसिद्धि में ऐसे 26 शिक्षक मिले हैं जिनका प्रमाण पत्र जाली है।नियोजन में-
शिक्षक मो0 अरशद,उज्जवल कुमार वर्मा, वविता कुमार, संतोष कुमार, अभय कुमार, मनोज कुमार साह, ओमप्रकाश शर्मा, अभिनन्दन राय,संजीव कुमार राय, पूर्णिया कुमारी, हरिकिशोर प्रसाद, मनीता कुमारी, उमेश राय व सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव को दो वर्षीय बीटीसी का प्रमाण पत्र वारणसी में स्थित जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संसथान सारनाथ वारणसी से निर्गत किया गया है। जब कि सूचना के अधिकर के तहत सोनबरसा निवासी रूदल सहनी के पुत्र चन्देश्वर सहनी को वारणसी में स्थित उक्त संसथान के प्रार्चाय ने अपने पत्रांक 2376 दिनांक 28र्माच 2012 के तहत भेजे अपने पत्र में स्पष्ट कर दिया है कि उक्त सभी अभ्यर्थी इस संसथान से पंजीकृत नही हैं और न ही उपरोक्त अभ्यर्थियों को इस संस्था से अंक प्रमाण पत्र दिया गया है।
चन्देश्वर सहनी को वारणसी में स्थित उक्त संसथान के प्रार्चाय ने अपने पत्रांक 2376 दिनांक 28र्माच 2012 के तहत भेजे अपने पत्र में स्पष्ट कर दिया है कि उक्त सभी अभ्यर्थी इस संसथान से पंजीकृत नही हैं और न ही उपरोक्त अभ्यर्थियों को इस संस्था से अंक प्रमाण पत्र दिया गया है।
इसी तरह रामेश्वर राम,मंजू श्री,अमित कुमार,महेश्वर प्रसाद,अमरेन्द्र प्रसाद चैधरी,रविरंजन कुमार भारती,अर्चना कुमारी,संजीव कुमार,सुनिल कुमार गुप्ता,राजीव कुमार राजू,उमाशंकर प्रसाद,राजीव कुमार को परीक्षा नियामक प्राधिकारी उत्तर प्रदेश,इलाहाबाद से एक वर्षीय शारीरिक प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र निर्गत हुआ है जिसे उपरजिस्टार ने भेजे अपने पत्र में में स्पष्ट किया है कि उक्त अभ्यर्थियों का इस कार्यालय से कोई अंक पत्र निर्गत नही किया गया है।
बावजूद इसके शिक्षा विभाग के अधिकारी कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति कर रहे है और समय का अभाव बताकर किसी तरह से इस मामले को ठण्डे बस्ते में डालने का प्रयास कर रहे हैं।
इधर इलाहाबाद से एक वर्षीय शारीरिक प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र निर्गत हुआ है जिसे उपरजिस्टार ने भेजे अपने पत्र में में स्पष्ट किया है कि उक्त अभ्यर्थियों का इस कार्यालय से कोई अंक पत्र निर्गत नही किया गया है।
जानकार बताते हैं कि वर्ष 2006-08 के शिक्षक नियोजन में यहां के प्रायःसभी प्रखण्डों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है और राज्य के बाहर की खरीदी गयी फर्जी डिग्री के आधार पर बड़ी संख्या में शिक्षकों की बहाली हुई है जिसकी जांच किसी निष्पक्ष ऐजेंसी से करायी जाये तो अनेक चैकाने वाले तथ्य सामने आयेंगे और कई प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारियों व नियोजन इकाइयों पर निलम्बन की तलवार लटक जायेगी।
पूर्वी चम्पारण के जब एक प्रखण्ड में 26 नकली डिग्रीधारी शिक्षक मिल सकते है तो अन्य 26 प्रखण्डों की क्या स्थिति होगी सहज अनुमान लगाया जासकता है। यहां बता दें कि इस मामले की शिकायत जिलाधिकारी श्रीधर सी के जनता दराबार में भी की गयी थी और इसका खुलासा होने के बाद शिक्षा विभाग स्थापना के डीपीओ ने 2006-08 के तहत जिले में बहाल हुए सभी शिक्षकों के शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र स्वा अभिप्रमाणित कर कार्यालय को उपलब्ध कराने के निर्देश कई बार प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारियों को दिया किन्तु आज तक उसपर अमल नही हुआ।