पिछले कुछ दिनों में अनेक नौकरशाहों ने कांग्रेस को निशाना बनाया है. पहले राकेश सिन्हा, सत्यपाल सिंह और अब सीबीआई प्रमुख रंजीत सिन्हा. कांग्रेस उनके रवैये से आहत है क्योंकि वह ऐसी उम्मीद नहीं कर रही थी.
रंजीत सिन्हा ने कहा है कि अगर सीबीआई इशरत केस में नरेंद्र मोदी के करीबी अमित शाह का नाम डालती तो यूपीए के लोग खुश होते. हालांकि, साथ में उन्होंने यह भी कहा है जांच एजेंसी अपना काम निष्पक्ष तरीके से कर रही है.
रंजीत सिन्हा सीबीआई के निदेशक हैं जिनसे यह उम्मीद नहीं की जाती कि वह कोई राजनीतिक बयान दें. पर उन्होंने यह कह कर खलबली मचा दी. उधर हाल ही में गृह सचिव जैसे संवेदनशील पद से रिटायर हुए आरके सिंह ने भी पद छोड़ने के कुछ दिनों बाद भाजपा में शामिल हो गये और केंद्र सरकार पर हमला बोल दिया.
सीबीआई निदेशक ने यह बयान इकोनामिक टाइम्स से बातचीत में दी. हालांकि अगले ही दिन रंजीत सिन्हा अपने बयान से मुकर गये. उन्होंने आईबीएन से बात चीत में कहा कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा था.
सवाल यह है कि रंजीत सिन्हा अपनी बात से भले ही पलट गये पर वह जिसे जो मैसेज देना चाहते थे दे चुके हैं. इससे पहले भी रंजीत सिन्हा कांग्रेस को मुश्किलों में डाल चुके हैं. उन्होंने सीबीआई की स्वतंत्रता पर कांग्रे( केंद्र सरकार) पर कई आरोप पहले भी लगा चुके हैं.
सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा को भाजपा का करीबी माना जाता है. इशरत जहां एनकाउंटर मामले में नरेंद्र मोदी के सहयोगी अमित शाह का नाम चार्जशीट में शामिल नहीं करने संबंधी बयान देकर रंजीत सिन्हा ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है.
उधर दो और नौकरशाह कांग्रेस पर धाव बोलते हुए भाजपा में शामिल हो चुके हैं. हाल तक केंद्रीय गृह सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहे आरके सिंह ने कांग्रेस पर जबर्दस्त आक्रमण किया था. उन्होंमने केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे पर धावा बोला था. आरके सिंह ने आईपीएल मैच फिक्सिंग की जांच के दौरान शिंदे पर एक कारोबारी का बचाव करने का आरोप लगाया.उस कारोबारी को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का करीबी बताया गया था.