वित्त मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि बिहार सरकार बजट निर्माण की प्रक्रिया बदलने जा रही है, इसकी निर्माण प्रक्रिया की विसंगतियां दूर की जायेंगी। इसे दायित्वपूर्ण बनाया जायेगा। बजट निर्माण की प्रक्रिया का नियम आजादी के तत्काल बाद 1953 में बना था। नये परिप्रेक्ष्य में इसमें बदलाव जरूरी है।
श्री यादव गुरुवार को जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान में रिसर्च फेलो डॉ0 वीणा सिंह की पुस्तिका ‘ बजट संहिता’ के विमोचन समारोह में बोल रहे थे। वित मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि बजट सरकार की दृष्टि का आईना है। यह अर्थव्यस्था का एक अंग है। इससे सरकार की नियत का भी पता चलता है। लोक कल्याणकारी राज्य के बजट में शिक्षा और स्वास्थ्य पर जोर होना चाहिए। विकास का लाभ समाज के अंतिम पायदान पर खड़े आदमी तक पहुंचना बजट वार्षिक लेखा-जोखा से ज्यादा एक पॉलिटिकल डॉक्यूमेंट है। यह आर्थिक नीतियों का औजार है। एक निश्चित अवधि के लिए प्राप्तियों एवं व्यय के साथ-साथ यह सरकार की नीति-दृष्टि को भी बखूबी प्रतिबिंबित करता है। राज्य योजना पर्षद् के सदस्य एस. गुलरेज होदा ने कहा कि जैसे शिक्षा विभाग का बजट कुल बजट का 20 प्रतिशत है तो इससे पता चलता है कि राज्य सरकार शिक्षा को प्राथमिकता में रख रही है।
संस्थान के निदेशक श्रीकांत ने कहा कि हमारी योजना है कि सरल भाषा में छोटी-छोटी पुस्तकों का लेखन और प्रकाशन लगातार हो, जो आम पाठक तक सस्ती कीमत में पहुंच सके। वरिष्ठ पत्रकार जूगनू शारदेय ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर विधान पार्षद डॉ. रामवचन राय, कथाकार शेखर, पत्रकार हेमंत कुमार आदि मौजूद थे। समारोह का संचालन डॉ. मनोरमा सिंह और धन्यवाद ज्ञापन अरुण कुमार सिंह ने किया।