गालिब की ये कविता हाल के वर्षों में हुए बदलावों की तस्वीर पेश करती हैं. गालिब बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में एक वरिष्ठ अधिकारी हैं.
लोगों की घटती संवेदना, मगर बदल रहा है पटना
रिश्तों संवादों व सामाजिक सरोकारों का घटता दायरा,
मगर बदल रहा है पटना.
पटना पर बढ़ती गाडि़यों का बोझ और छोटी पड़ती सड़कें,
मगर बदल रहा है पटना.
टीन एजर्स द्वारा खुदकुशियां, बहुमंजिली इमारतों में
अधिवक्ता, महिला प्रोफेसर की हत्या, युवती के साथ सामूहिक बलत्कार,
मगर बदल रहा है पटना.
तथाकथित नायक की शव यात्रा में लम्पटों की
गुण्डागर्दी, मूकदर्शक पुलिस मगर बदल रहा है पटना.
अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में घटती दवाइयां और मरते लोग,
साथ ही निजी डाक्टरों के यहाँ बढ़ती भीड़
मगर बदल रहा है पटना.
रोज-ब- रोज संभ्रांत पटना की बेटियों की दहेज हत्या,
मगर बदल रहा है पटना.
सड़कों पर बिकती सब्जी और जाम होती सड़कें मगर बदल रहा है पटना
कोचिंग कारोबार का बढ़ता दायरा और स्कूलों-कालेजों
में घटती छात्र उपस्थिति,
मगर बदल रहा है पटना.
दिनदहाड़े कैशियर की हत्या
मगर बदल रहा है पटना.
पटना की एक सौ झोपड़पट्टियों में आवासन करते लगभग एक लाख लोग,
मगर बदल रहा है पटना.
पटना में स्थित कालेज, यूनिवर्सिटी में घटते शिक्षक ,
मगर बदल रहा है पटना.