बनारस भले ही अध्यात्म व मोक्ष की नगरी मानी जाती हो पर एक ताजा अध्ययन बताता है कि यहां फैलती जहरीली हवा इस शहर को देश का सबसे प्रदूषित जगह बना चुका है.
रिपोर्ट के अनुसार वायु में जहीरेले कण पीएम 2.5 खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है. यह स्थिति बनारस के अलावा इलाहाबाद में भी है. रिपोर्ट के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर की वजह से वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है और यह दमा, फेफड़े का रोग और यहां तक कि दिल के दौरा का भी खतरा बढ़ जाता है.
बनारस में इंडिया स्पेंड, सीईईड और क्योर फॉर एयर ने इस सिलसिले में 12 दिसम्बर को एक मीडिया कार्यशाला का आयोजन कर इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की.
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि पीएम 2.5 के खतरनाक स्तर का सबसे कुप्रभाव बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है. इस प्रदूषण के अनेक कारणों में सबसे प्रमुख कारण कोयलाधारित बिजली संयत्रों से होने वाला प्रदूषण है. इस क्षेत्र में कोयलाधारित सात विद्युत संयत्र हैं जिनसे 12 हजार मेगावाट बिजली जेनेरशन होती है. रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसे प्रदूषण का ज्यादा प्रभाव सर्दी के दिनों में सामने आता है जब गंगा के तटवर्ती इलाके में कुहासा का प्रकोप होता है.
इंडिया स्पेंड, सीईईड और क्योर फॉर एयर ने संयुक्त रूप से यह कार्यशाल आयोजित किया था जिसमें पटना, लखनऊ, दिल्ली, रांची, मुम्बई समेत अनेक स्थानों के पत्रकारों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था. इस कार्यशाल का उद्देश्य प्रदूषण के कुप्रभाव के प्रति आम लोगों को सचेत और जागरूक करना था.