मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार समाजवादी राजनीति की आड़ में समाज को बांटने का सफल खेल खेलते रहे हैं। पहले उन्‍होंने दलितों को किस्‍तों में बांटा। प्रथम किस्‍त में चार दलित जातियों को छोड़कर शेष सभी को महादलित घोषित कर दिया और दूसरे किस्‍त में चार दलित जातियों में पासवान को छोड़कर शेष तीन जा‍तियों रविदास, धोबी और पासी को महादलित बना दिया।images

वीरेंद्र यादव

 

अपने इसी खेल का विस्‍तार करते हुए नीतीश कुमार ने बनिया और सवर्णों को भी बांट दिया। बिहार में बड़ी आबादी वाली बनिया वर्ग में तेली जाति की संख्‍या सबसे ज्‍यादा रही है। अहीर, दुसाध की तरह लगभग हर गांव में तेली जाति के एक-दो घर जरूर मिल जाएंगे। चौरसिया और उसके समानकार्य वाली जातियों की संख्‍या भी काफी है। तेली और चौरसिया जाति को नीतीश कुमार ने पिछड़ा वर्ग से निकाल कर अतिपिछड़ी जाति में शामिल कर दिया है। इसका राजनीतिक निहितार्थ है कि वह अतिपिछड़ी जातियों की आबादी बढ़ाना चाहते हैं, जिस पर अपना वह दावा करते रहे हैं। नीतीश सवर्ण जाति में आने वाली गिरि जाति को पहले ही अतिपिछड़ा में शामिल कर चुके हैं। मंत्री दुलालचंद गोस्‍वामी इसी जाति से आते हैं।

 

 नीतीश प्रोवर्टी लाइन

अब तक सरकारी आंकड़ों में बीपीएल और एपीएल ही था। अब एनपीएल यानी नीतीश प्रोवर्टी लाइन भी जुड़ गया है। नीतीश कुमार ने सवर्ण जातियों को अमीर और गरीब में बांटने के लिए नया मानदंड तय है। डेढ़ लाख तक आमदनी वाले एनपीएल के नीचे आएंगे, जिन्‍हें सरकारी सुविधाओं का विशेष लाभ गरीब होने के नाम पर मिलेगा और इससे ऊपर वालों को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा। जाति और आर्थिक आ‍धार पर समाज में नया मानदंड गढ़ने वाला का राजनीतिक लक्ष्‍य जो भी हो, इतना तय है कि समाज और जाति का अंतरविरोध बढ़ेगा। इस अंतरविरोध के अपने लाभ और हानि हैं। इसका किसे लाभ मिलेगा या नुकसान होगा, यह चुनाव में ही पता चलेगा।

By Editor

Comments are closed.


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427