रावण दहण के दौरान अफवाह से 34 लोगों की मौत महज अफवाह फैलने से हो गयी जब कि इसी गांधी मैदान ने पिछले साल नवम्बर में सीरियल ब्लास्ट से अपने धैर्य का सुबूत दे कर मिसाल कायम की थी.
वीरेंद्र कुमार यादव, बिहार ब्यूरो चीफ
यह घटना दिल को दहला देने वाली है. इस घटना के कारण पुलिस प्रशासन पर सवाल तो उठ ही रहा है लेकिन सवाल यह भी है कि आखिर पटना को क्या हो गया. कुछ लोगों का मानना है कि रात होने के कारण और इस भीड़ में महिलाओं और बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा होने के कारण लोगों में घबराहट हो गयी और सब भागने लगे.
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मोदी की रैली में पटना में हुए थे सिलसिलेवार विस्फोट
इस घटना के दौरान जहां काफी भीड़ जुटी वहीं प्रतिमा विसर्जन के में लाउडस्पीकर और ढ़ोल ताशों के शोर के कारण अफरतफरी फैलने में देर नहीं लगी.
हालांकि जिला प्रशासन ने मीडिया द्वारा बार-बार अफवाह से बचने की अपील की लेकिन ये अपील काम नहीं आयी.
बताया जा रहा है कि इस बार की घटना में लोगों की मौत की एक वजह यह भी रही कि मैदान के कई गेट होने के बावजूद सिर्फ एक गेट ही बाहर निकलने के लिए खोला गया था. हालांकि प्रशासन ने इसे सुरक्षा के मद्देनजर किया था लेकिन सारी तैयारी बेकार चली गयी. कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि इस भीड़ में कुछ मनचले लोगों ने उत्पात भी मचाने की कोशिश की जिसके चलते लोग अफरातफरी के शिकार हुए.
वहीं पूर्व पुलिस अफसर ध्रव गुप्त का कहना है कि मैदान में पुलिस की पर्याप्त व्यवस्था तो थी, लेकिन किसी आकस्मिक स्थिति या अफवाहों से निबटने की समझ या योजना एक सिरे से थी ही नहीं।
मालूम हो कि पिछले साल भाजपा की रैली इसी मैदान में हुई जिसमें लगातार सीरियल ब्लास्ट होते रहे और इस अवसर पर एक लाख से ज्यादा लोग जुटे पर किसी तरह की कोई भगदड़ नहीं मची. जो लोग मरे वो बम विस्फोट से मरे या घायल हुए.
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