बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने सरकार पर दलितों की उपेक्षा करने और उन्हें इस संबंध में राज्यसभा में नहीं बोलने देने का आरोप लगाते हुए आज सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। सुश्री मायावती ने सभापति हामिद अंसारी से संसद भवन में उनके कार्यालय में भेंटकर उन्हें अपने इस्तीफे का तीन पृष्ठ का पत्र सौंपा।
इसके बाद सुश्री मायावती ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि जब सत्ता पक्ष मुझे अपनी बात रखने का भी समय नहीं दे रहा है तो मेरा इस्तीफा देना ही ठीक है। इससे पहले उन्होंने सुबह राज्यसभा में दलितों पर अत्याचार की घटनाओं पर बोलने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए कहा था कि अगर उन्हें अपनी बात नहीं रखने दी जाती है तो वह सदन से इस्तीफा दे देंगी। इसके बाद वह विरोध स्वरुप रोष में सदन से बाहर चली गयी थी।
उन्होंने सदन में नियम 267 के तहत चर्चा शुरु करते हुए कहा था कि भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद से भीड़ द्वारा हत्याएं किए जाने की घटनाएं बढ़ रही है और अल्पसंख्यकों, पिछड़े, दलितों, किसानों और मजदूरों का दमन किया जा रहा है। भाजपा शासित राज्यों में भीड़ द्वारा हत्या के मामलों में इजाफा हो रहा है।