पटना उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि विकलांगों के पुनर्वास के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं, विशेषज्ञों और सरकार को मिल कर काम करना चाहिए.
उन्होंने कहा किसी एक प्रकार की विकलांगता से पीड़ित व्यक्तियों की दशा देखकर मन पीड़ित हो जाता है। यदि कोई व्यक्ति एक नहीं अनेक प्रकार की विकलांअगता का शिकार हो तो उसकी पीड़ा की कल्पना मात्र से रोम सिहर उठता है। ऐसे व्यक्तियों के पुनर्वास का कार्य कितना चुनौतीपूर्ण और प्रशंसनीय है, इसे शब्दों में प्रकट नही किया जा सकता।
बहुविकलांगता पर देश का सबसे बड़ा सम्मेलन
उन्होंने ये विचार भारतीय पुनर्वास परिषद तथा इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एजुकेशन ऐंड रिसर्च के द्वारा संयुक्त से आयोजित, पुनर्वास-विशेषज्ञों के 7वें राष्ट्रीय सम्मेलन- “ 7वां नेशनल रिहैब मीट-2016 का उद्घाटन करते रखे.
पुनर्वास परिषद के उपनिदेशक, बहुविकलांग पुनर्वास संस्थान, स्थि विकलांग संस्थान से जुड़े विशेषज्ञों ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे
प्रशिक्षण पर जोर
इस अवसर पर अपना विचार व्यक्त करते हुए, भारतीय पुनर्वास परिषद के उपनिदेशक डा सुबोध कुमार ने कहा कि, परिषद पूरे देश में विकलांगता के क्षेत्र में कार्य करने वाले विशेषज्ञों को निबंधित हीं नही करती है, उन्हें नयी तकनीक से अवगत कराने के लिये, विशेष प्रशिक्षण कारयक्रमों से भी जोड़ती है। उन्होंने कहा कि परिषद ने पुनर्वास-सम्मेलन को सी आर ई प्रशिक्षण का भी दर्जा दे रखा है, जिससे उन्हें तकनीक प्वाइंट भी मिलते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस सम्मेलन में अगले तीन दिनों में जो चर्चाएं होगी, उसका जो प्रतिफ़ल आयेगा, उससे पुनर्वास कार्यक्रमों में नीतियां बनाने में पुनर्वास-परिषद को भी सहयता मिलेगी।
राष्ट्रीय बहुविकलांग पुनर्वास संस्थान, चेन्नैई के निदेशक डा हिमांशु दास ने कहा कि, यहां हो रहा यह पुनर्वास सम्मेलन इसलिये महत्त्वपूर्ण और ऐतिहासिक है कि देश में पहली बार बहु-विकलांगता पर इतना बड़ा सम्मेलन हो रहा है, जिसमें सभी क्षेत्रों के विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। उन्होंने अपने संस्थान की ओर से हेल्थ इंस्टिच्युट के पुनर्वास-कार्यक्रमों में सह्योग देते रहने का आश्वासन भी दिया।
राष्ट्रीय अस्थि विकलांग संस्थान, कोलकाता के अकुपेशनल थेरापी विभाग के अध्यक्ष डा पंकज बाजपेयी ने कहा कि, इस संस्थान द्वारा किया जा रहा यह कार्य पुनर्वास-कार्यक्रमों के लिये भविष्य की पूंजी बन रही है।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में, आयोजन समिति के संरक्षक तथा संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कहा कि यह पुनर्वास-सम्मेलन देश का प्रथम और एक मात्र सम्मेलन है, जो विकलांगता के सभी क्षेत्रों के विशेषज्ञों को साझा-मंच प्रदान करता है। इस संस्थान के साथ बिहार के लिये यह गौरव की बात है कि देश में पहली बार यह विचार अमल में लाया गया कि, विकलांगों के पुनर्वास में संलग्न अलग-अलग तरीकों से कार्य कर रहे सभी प्रकार के पुनर्वास-कर्मियों को एक मंच पर आकर विचार करना चाहिये, ताकि वे सभी यह जान सकें कि अलग-अलग क्षेत्रों में कितना तकनीकी विकास हुआ है तथा मिल कर किस प्रकार कार्य किया जा सकता है।