अतिवादियों द्वारा 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विधवंश के 26 साल बाद देश भर में विभिन्न संगठनों ने काला दिन मनाया और विधवंसकारियों को सजा देने की मांग की.
अतिवादियों द्वारा 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विधवंश के 26 साल बाद देश भर में विभिन्न संगठनों ने काला दिन मनाया और विधवंसकारियों को सजा देने की मांग की.
इधर पटना में भी विभिन्न संगठनों ने बाबरी मस्जिद की शहादत की 26वीं बरसी पर लोग सड़क पर उतरे. इस अवसर पर एसडीपीआई और मोनिन कांफ्रेंस जैसे संगठनों ने विरोध मार्च निकाला और प्रदर्शन किया.
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‘बाबरी मस्जिद गिराने की घटना गांधी की हत्या से भी गंभीर, विध्वंस करने वाले चला रहे हैं देश’
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मोमिन कांफ्रेंस के प्रमुख महबूब आलम के नेतृत्व में मार्च का आयोजन किया गया. जबकि एसडीपीआई के प्रदेश प्रसिडेंट नसीम अख्तर नदवी के नेतृत्व में विरोध जुलूस निकाला गया. इस पर प्रदर्शनकारी बाबरी मस्जिद हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा है और मस्जिद की जगह पर मस्जिद फिर से बनाने की मांग की गयी.
इस अवसर पर एसडीपीआई के शमीम अख्तर ने कहा कि आज 26 सालों के बाद भी बाबरी मस्जिद शहीद करने वाले गुनाहगारों को सजा नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि देश के संविधान की धज्जी उड़ाते हुए बाबरी मस्जिद को शहीद करने वाले गुनाहगारों को अदालत सजा दे.
इस अवसर पर इंतखाब आलम और खुर्रम मलिक समेत अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी बात रखी और मांग की कि देश के संविधान की गरिमा तब तक स्थापित नहीं हो सकती जब तक कि बाबरी मस्जिद का निर्माण ना हो जाये.