हत्या, अपहरण जैसे दर्जनों संगीन मामलों के आरोपी अगर साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष बनायें जायें तो साहित्य जगत के साथ सामान्य लोगों में हलचल स्वाभाविक है.

अजय सिंह अपनी विधायक पत्नी के साथ
अजय सिंह अपनी विधायक पत्नी के साथ

विनायक विजेता

दरौंदा की पूर्व विधायक स्व. जगमातो देवी के पुत्र और वर्तमान में दरौंदा की विधायक कविता सिंह के पति अजय सिंह जिनका साहित्य और साहित्य सम्मेलन से दूर-दूर तक कभी रिश्ता नही रहा है साहित्य सम्मेलन के ही प्रधानमंत्री रामनरेश सिंह की मिलीभगत से फर्जी चुनाव के आधार पर अध्यक्ष निर्वाचित कर दिए गए.

इसके लिए आनन-फानन में पटना विश्वविद्यालय के एक लिपिक सुधाकर सिंह को निर्वाची पदाधिकारी बना दिया गया जबकि साहित्य सम्मेलन के वास्तविक निवा्रची पदाधिकारी पटना हाइकोर्ट के अधिवक्ता पंडीत जी पांडेय हैं.

मिलीभगत

बताया जाता है कि साहित्य सम्मेलन के वर्तमान अध्यक्ष अनिल सुलभ का कार्यकाल समाप्त हो रहा है जिसके आलोक में मूल कमेटि और निर्वाची पदाधिकारी ने निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू भी कर दी थी. सम्मेलन के अध्यक्ष पद के लिए वर्तमान अध्यक्ष अनिल सुलभ, डा. शिववंश पांडेय, कृष्ण रंजन सिंह व अंजनी कुमार सिंह ‘अंजान’ के नाम का प्रस्ताव गया था.

इनमें से दो व्यक्तियों द्वारा चुनाव लड़ने से इनकार करने के बाद अनिल सुलभ और अंजनी कुमार ही चुनाव मैदान में रह गए थे पर इसी बीच बीते 5 सितम्बर को एक फर्जी चुनाव के जरिए बाहुबली अजय सिंह को हिन्दी साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष घोषित कर दिया गया.

अजय सिंह मंगलवार की शाम अपने अमले के साथ कदमकुंआ स्थित साहित्य सम्मेलन के दफ्तर में गए भी और काफी देर तक प्रधानमंत्री रामनरेश सिंह के कक्ष में बैठे भी.गौरतलब है कि बाहुबली अजय सिंह नीतीश कुमार के निकट माने जाते हैं.

अपनी मां जगमातों देवी की मौत के बाद वह नीतीश कुमार से मिले भी थे और मां की मौत के बाद रिक्त हुए दरौंदा सीट पर अपने लिए जदयू का टिकट मांगा था. उनकी आपराधिक छवि को ध्यान में रख नीतीश कुमार ने तब अविवाहित अजय सिंह को किसी पढी-लिखी और 25 वर्ष पूरी कर चुकी किसी लडकी से शादी करने को कहा था जिसे टिकट दिया जा सके.
इसके बाद आननफानन में 17 सितम्बर 2011 को अजय सिंह ने कविता सिंह से विवाह किया जिन्हें दरौंदा उप-चुनाव में जदयू का प्रत्याशी बनाया गया. 13 अक्टूबर 2011 को संपन्न हुए इस उप-चुनाव में कविता सिंह 20 हजार मतो से चुनाव जीत गर्इं.

सूत्रों के अनुसार एक आपराधिक मामले में अजय सिंह की सजा पटना हाइकोर्ट तक ने बरकरार रखी जिस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में उनकी याचिका लंबित है. उत्तर बिहार में खौफ का दूसरा नाम समझे जाने वाले अजय सिंह का साहित्यकारों और बुद्धजीवियों की प्राचीन संस्था ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ का स्वयंभू अध्यक्ष बनना साहित्य के क्षेत्र के लिए दुर्भाग्य ही माना जाएगा.

By Editor

Comments are closed.


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427