केंद्र सरकार ने मोतिहारी में महात्मा गांधी के नाम पर केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने की मंजूरी दे दी है। यह बिहार के लिए संतोष की बात हो सकती है। लेकिन पहले से चल रहे बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रोफेसरों के 24 पद सृजित हैं, लेकिन नियुक्ति मात्र 2 पदों पर हुई है। शेष 22 पद रिक्त पड़े हुए हैं। पिछले दिनों सुपौल की सांसद रंजीत रंजन लोकसभा में केंद्रीय विश्वविद्यालय में शैक्षिक व गैरशैक्षिक पदों पर नियुक्ति के संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में शिक्षामंत्री स्मृति ईरानी ने शिक्षकों की नियुक्ति जो तस्वीर पेश की थी, वह चिंताजनक थी।
मंत्री ने बताया कि बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के 22 पद रिक्त हैं, जबकि नियुक्ति मात्र दो की हुई। हरियाणा में कुल रिक्त पद 23 हैं, लेकिन यहां एक भी नियुक्ति नहीं हुई। गुजरात में 21 खाली पदों के लिए मात्र पांच प्रोफेसर नियुक्त किये गये। प्राप्त जानकारी के अनुसार देश भर के 39 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 6251 पद, 16 आईआईटी में कुल 2636 पद खाली पड़े हैं, जबकि एनआईटी में कुल 4657 पद रिक्त हैं। उम्मीद है कि अगले शैक्षणिक सत्र से शिक्षकों की कमी को काफी हद तक दूर कर लिया जायेगा। शिक्षकों के खाली पदों का यह आंकड़ा इस वर्ष 31 मार्च तक का है और उसके बाद भी कई शैक्षणिक संस्थानों में कुछ पद खाली हुए हैं और कई जगह नियुक्तियां भी हुई हैं।
मंत्री ने बताया कि सरकार गुणवत्ता के साथ समझौते नहीं करेगी। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों कुलपतियों के सम्मलेन में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी कुलपतियों को कि अगले शैक्षणिक वर्षा तक रिक्त पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति करने का निर्देश दिया है। रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक पद दिल्ली विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में खाली पडे हैं।