बिहार का एक बड़ा मुद्दा बन गया है बिल्डिंग बायलॉज। बिहार के प्रशासनिक व राजनीतिक हल्के में चर्चा का विषय बन गया है कि आखिर इसे कैबिनेट की मंजूरी कब मिलेगी और इसका स्वरूप क्या होगा। बिल्डिंग आज आम आदमी की जरूरत हो गयी है और इसको लेकर सरकारी नियमन भी जरूरी है। इस पर आधारित कारोबार से हजारों परिवार का रोजी-रोटी जुड़ा हुआ है। बिल्डिंग बायलॉज नहीं होने के कारण निर्माण कार्य ठप पड़ा हुआ है। यही कारण है कि इसके स्वरूप व प्रावधान को लेकर कई तरह की आशा व आशंका के डोर बंधे हुए हैं।
वीरेंद्र यादव
लेकिन लगता है कि बिल्डिंग बायलॉज पर मंत्री ललन सिंह व पूर्व सीएम नीतीश कुमार का ग्रहण लग गया है। कैबिनेट की 18 नवबंर को हुई बैठक में इसे रखा गया था। उस बैठक में 60 प्रस्ताव रखे गए थे, जिसमें से 59 को कैबिनेट की मंजूरी मिल गयी थी, जबकि एकमात्र बिल्डिंग बायलॉज से जुड़े प्रस्ताव को लटका दिया गया था। इस संबंध में नगर विकास विभाग के सचिव बी राजेंद्र कहा था कि अभी देर लगेगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, उस बैठक में पथ निर्माण मंत्री ललन सिंह ने कहा कि बायलॉज को पढ़ना संभव नहीं है। इसलिए अगली बैठक में इस पर आधारित पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन किया जाए। इसके बाद उस पर अंतिम रूप से निर्णय लिया जाए। इस कारण 18 नंबवर को कैबिनेट की बैठक में इस पर विचार नहीं हुआ।
इसके बाद 25 नवंबर की बैठक में बिल्डिंग बायलॉज पर विचार की संभावना थी। लेकिन इस बार नीतीश कुमार का ग्रहण लग गया। 25 नवंबर को कैबिनेट की बैठक तय थी। इस बीच मीडिया में नीतीश व मांझी के मनमुटाव की खबर की लपट तेज हो गयी। इस पर पानी डालने के लिए सीएम मांझी ने कैबिनेट की बैठक स्थगति कर जहानाबाद में हो रहे नीतीश कुमार की संपर्क यात्रा में शामिल होने चले गए। मांझी जहानाबाद जिले के मखदुमपुर के विधायक हैं। कैबिनेट 26 नंबवर के लिए टाल दी गयी। लेकिन 26 नंबवर को भी मांझी नीतीश कुमार की गया यात्रा में शामिल होने के लिए पटना के बदले गया रवाना हो गए। इस कारण 26 नंबवर को भी कैबिनेट की बैठक नहीं हुई। सूचना व जनसंपर्क विभाग की जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि कैबिनेट की बैठक अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर दी गयी है, हालांकि अगली बैठक की तारीख नहीं दी गयी है। उम्मीद है कि सब कुछ ठीक रहा तो कैबिनेट की आगामी बैठक में बिल्डिंग बायलॉज लगा ग्रहण छंट सकता है।