–विनायक विजेता–
रिश्ते की जंग में बदल गया है बिस्कोमान के अध्यक्ष का चुनाव. इस पद के लिए जहां पूर्व सांसद अजित सिंह के बेटे विशाल सिंह मैदान में हैं वहीं दूसरी और उनके पिता के ममेरे भाई सुनील सिंह भी कमर कस चुके हैं.
बिस्कोमान यानी बिहार स्टेट को-ऑपरेटिव मार्केटिंग यूनियन लिमिटेड बिहार की एक महत्वपूर्ण को-आपरेटिव संस्था है जो अनाजों के वितरण के अतिरक्त कृषि आधारित उद्योग भी संचालित करती है. इसके अधीन ग्रेनुलर फर्टिलाइजर और मवेशियों के चारे का प्लांट भी है. पटना की सबसे ऊंची इमारत इसी के अधीन है. जिसे बिस्कोमान भवन के नाम से जानते हैं.
आगामी 23 नवम्बर को बिस्कोमान के होने वाले चुनाव में भतीजा विशाल रिश्ते में अपने चाचा सुनील कुमार सिंह को पटखनी देने को उतावला दिख रहे हैं.
गौरतलब है कि पूर्व सांसद स्व. अजीत सिंह व सुनील सिंह में ममरा-फुफेरा भाई का रिश्ता है. विशाल सिंह अजीत सिंह के बेटे हैं. इस चुनाव में अध्यक्ष के एक पद के लिए जहां चार उम्मीदवार हैं वही निदेशक मंडल के चौदह पदों के लिए बीस उम्मीदवार.
बिस्कोमान के तीन बार अध्यक्ष रह चुके सुनील सिंह के पास जहां अनुभव और समर्थन दिख रहा है वहीं विशाल सिंह के साथ पैसा और पावर का बोलबाला है.
हाइकोर्ट के आदेश के बाद 2008 में निर्वाचित प्रतिनिधियों के आधार पर हो रहे इस चुनाव में 188 प्रतिनिधि मतदान करेंगे.
बिस्कोमान को सुपरसीड करने के खिलाफ कई बार हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से जीत हासिल करने और जुझारु पर मृदुभाषी सुनील सिंह को अपने योगदान पर चुनाव जीतने का भरोसा है.
जबकि अपरोक्ष रुप से सरकारी उम्मीदवार विशाल सिंह पॉलिटिकल पावर के काफी करीब हैं. उनकी मां मीना सिंह सत्ताधारी जेडीयू की सांसद भी हैं.
यूं तो अध्यक्ष पद के लिए चार प्रत्याशी मैदान में हैं पर ऐसा भी हो सकता है कि अंतिम क्षण में विनय कुमार शाही और गोपाल गिरी अपना नाम वापस लेकर लड़ाई को सुनील सिंह और विशाल सिंह के बीच आमने सामने का बना सकते हैं.
अब देखने वाली दिलचस्प बात यह होगी कि इस चुनाव में चाचा का अनुभव काम आता है या भतीजे का राजनीतिक रसूख.