शायर बेनाम गिलानी ने कहा कि गांधी जी साध्य की प्राप्ति में साधन की पवित्रता पर बहुत जोर देते थे। उनका यह कहना था कि इस संसार में हमारी जरूरत को पूरा करने के लिये पर्याप्त संसाधन हैं,पर इससे हमारी लालच की पूर्ति नहीं हो सकती। गरीबी धन की अनुपस्थिति नही बल्कि लालच की उपस्थिति का नाम है। समाजसेवी आशुतोष मानव ने कहा कि बिना जनसेवा किए राज्यसत्ता प्राप्ति की सीढ़ी के रूप में आज जाति एवं धर्म का राजनितिक रूप से इस्तेमाल होने लगा है। इससे समाज में मानव – मानव के बीच की दूरी बढी है । सांप्रदायिक भावनाओं के उदय का भी एक बहुत बड़ा कारण यही है ।
वक्ताओं ने कहा कि गांधी जी ने जो कुछ भी कहा उसे अपने व्यवहार में अपनाया। गांव- घरों में व्याप्त गंदगी को दूर करने के लिए उनका स्वच्छता अभियान, सामाजिक सद्भाव के लिए सामूहिक प्रार्थना तथा लोगों में आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए चरखा एवं अन्य कुटीर उद्योगों के प्रोत्साहन संबंधी उनके कार्य आज भी प्रसांगिक हैं।
गांधी जी मानते थे कि धर्म एवं सांप्रदायिकता दोनों अलग-अलग हैं। एक दूसरे के विरोधी हैं। सांप्रदायिक व्यक्ति कभी धार्मिक नहीं होता, वह धार्मिक होने का ढोंग करता है। इसी प्रकार धार्मिक व्यक्ति कभी सांप्रदायिक नहीं हो सकता धार्मिक भावना का राजनीतिक शोषण ही सांप्रदायिकता है। जिस तरीके से समाज में सांप्रदायिक भावना का विस्तार हो रहा है ,गांधी जी के विचार एवं मूल्य पर चलना अब बेहद जरूरी हो गया है।
डीपीआरओ लालबाबू ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शराबबंदी, महिला सशक्तिकरण ,दहेज प्रथा एवं बाल विवाह निषेध, पंचायती राज व्यवस्था को सशक्तिकरण करने संबंधी कार्य , गांधी जी के विचारों का ही व्यवहारीकरण है। गांधीजी के विचारों की महत्ता आज इतनी बढ़ गई है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2 अक्टूबर को विश्व अहिंसा के दिवस के रूप में स्वीकार किया है । दुनिया के नेताओं में गांधीजी का प्रभाव आज भी सबसे अधिक है।
गांधीवादी दीपक कुमार ने गांधी जी को राजनीति, साहित्य संस्कृति, धर्म, दर्शन व विज्ञान का अद्भुत मनीषी एवं बहुत बड़ा मानवतावादी बताया । दुनिया में कहीं भी शांति मार्च निकालना हो, अत्याचार या हिंसा का विरोध किया जाना हो, गांधीजी पहले व्यक्ति हैं जिन्हें सबसे पहले याद किया जाता है। इनके मूल्य एवं विचार जाति- वर्ग या देश की सीमा से ऊपर हैं और यह सिर्फ भारत के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए सबसे अधिक और सर्वकालिक प्रसांगिक व्यक्ति हैं।
कार्यक्रम में नालंदा नाट्य संघ के इन कलाकारों ने गांधी जी के प्रिय भजन को गाया। और अंत में धन्यवाद ज्ञापन साहित्यप्रेमी राकेश बिहारी ने किया। इस अवसर पर राम सागर राम, राकेश रितुराज, उमेश प्रसाद उमेश ,राकेश बिहारी ,बेनाम गिलानी, सतनाम सिंह,भारत मानस, रामअवतार कुशवाहा, बलवंत,कुंदन ,शेखर, आशीष,आकाश, ज्योत्स्ना, मुस्कान चांदनी,राजीव रंजन पाण्डेय,अमन, धीरज,पुणेश्वर कुमार, सुधीर,राकेश बहादुरपुरी, राजेश ठाकुर, लक्ष्मीचंद आर्य, सहित काफी संख्या में बुद्धिजीवी उपस्थित थे।
बिहार शरीफ नालंदा से संजय कुमार की रिपोर्ट