बिहार सरकार ऐतिहासिक स्थलों को संवारने व उन्हें पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए बड़ी घोषणाएं करती है किन्तु बिहार का इकलौता व देश का आठवां कबीर स्तंभ के लिए कुछ नही सोंचती है

चम्पारण का कबीर स्तंभ (photo Intezarul Haque)
चम्पारण का कबीर स्तंभ (photo Intezarul Haque)

इन्तेजारूल हक

पूर्वी चम्पारण जिले के पीपरा कोठी प्रखण्ड के जीवधारा से तीन किलो मीटर की दुरी पर सिथत बेलवतिया गांव में स्थापित यह ऐतिहासिक कबीर स्तंभ अपना वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
राष्ट्रीय पर्यटक स्थल

चार वर्ष पूर्व पूर्वी चम्पारण के तत्कालीन जिलाधिकारी नर्मदेशवर लाल के प्रयास पर पर्यटक विभाग ने इस स्तंभ को राष्ट्रीय पर्यटक स्थल घोषित करने की बात कही थी। और विधान सभा ने इस की मंजुरी भी दे दी थी। बावजुद इसके कोई काम अभी तक शुरू नही हुआ और इस मामले को ठण्डे बस्ते मे डाल दिया गया।

138 साल पुराना

सन 1875 में स्थापित इस स्तंभ की उंचाइ करीब चालीस फिट है और चमकीले व विशेष गुण वाले पत्थर से बना यह स्तंभ आज भी महान संत कवि की यादों को जिन्दा रखा हुआ है।ऐसी मान्यता है कि संत कबीर अपने पंथ के प्रचार के लिए भ्रमण करते हुए बेलवतिया पहुचें थे और अपने तीन माह के प्रवास के दौरान यहीं से अन्य क्षेत्रों में भ्रमण करते रहे। इसी के उपलक्ष्य मे उनके अनुयायी केश्व ने यहां एक भव्य मठ का निर्माण कराया था जिसे बाद में महन्थ रामस्नेही दास ने स्तंभ का निर्माण कराया। इस स्तंभ का असली रूप चांदनी रात में दिखता है।

चांदनी रात की चमक

दूर से ही चांद की किरणे उक्त स्तंभ की जड़ में संगमरमर के पत्थर से टकड़ा कर चमक उठती है। इस ऐतिहासिक विश्व कबीर शांति स्मंभ एवं आश्रम पर गौर करे तो आश्रम की स्थापना करने वाले महंथ स्व0 केसव साहब ने सन 1875 से 1895र्इ0 तक, महंथ स्व0 श्याम बिहारी साहब ने सन 1895 से 1901र्इ0 तक, महंथ स्व0 रिशाल साहब ने सन 1901 से 1929 र्इ0 तक, महंथ स्व0 ब्रहमदेव साहब ने सन 1929 से 1954 र्इ0 तक, महंथ स्व0 कमल साहब ने सन 1954 से 1975 र्इ0 स्थापना के सौ वें वर्ष पर अपने जीवन काल में ही स्व0 रामसनेही साहब को अपना कार्य भार सौपते हुए महंथ की गददी पर आसीन कर दिया। तथा उन्होने भी अपने जीवन काल में ही 15 सितम्बर 1997 को अपना कार्य भार सौपते हुए रामरुप गोस्वामी को महंथ बना दिया। इन सभी छह महंथों की समाधी आश्रम में ही स्थापित है।

करीब चार वर्ष पूर्व जिला प्रशासन के निर्देश पर अंचल के एक कर्मी ने भी स्थल निरीक्षण किया था और अतिथिशाला, पानीटंकी, शौचालय, व सड़क आदि की आवश्यक्ता पर जोर देते हुए एक प्रतिवेदन तैयार कर जिला प्रशासन को सौंपा था परंतु आज तक धरातल पर कुछ भी नही उतर पाया।

इस आश्रम के बिहार, उतर प्रदेश व पड़ोसी देश नेपाल में 52 शाखा आश्रम है। वही यहां वृद्धाश्रम, बाल आश्रम, व पूस्तकालय उपलब्ध है। पूर्व में सैकड़ो बालक यहां रहकर शिक्षा दिक्षा लिया करते थे जिनपर होने वाले सारे खर्चे आश्रम ही किया करता था। त्रिदिवसीय संत सम्मेलन होने की परम्परा है और भादो मास के अनंत चतुर्दशी के अवसर पर आयोजित त्रिदिवसीय संत सम्मेलन में दूर दूर से कबीर पंथी संतो का जमघट लगता है।

By Editor


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