अपराध, हिंसा, दंगा व हत्या के प्रयास समेत दर्जन भर मुकदमे झेल रहे यूपी के चयनित सीएम आदित्य नाथ को बिहार के एक आईपीएस अधिकारी ने जनाकांक्षा और शांति का प्रतीक बताते हुए उनकी प्रशंसा में अपना हृदय निकाल कर रख दिया है.
किसी लोक सेवेक वह भी पुलिस अधिकारी की एक विशेष विचार के नेता के प्रति ऐसी वंदना पर सवाल उठना लाजिमी है.
ये अधिकारी हैं अरविंद पांडे जो बिहार कैडर के वरिष्ठ अधिकारी हैं और फिलवक्त बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक हैं.
पांडेय ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि में जब मीडिया में यह स्वर उच्चरित होगा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
ने कहा —— तो यह ध्वनि वास्तव में श्रवण-सुखद होगी. इतना ही नहीं उन्होंने लिखा है कि भारत का सदा से स्वप्न रहा है कि
सन्यासी, शासक हो या शासक, सन्यासी सदृश आचरण करे.
पांडेय के पोस्ट से साफ लग रहा है कि योगी आदित्यनाथ के सीएम बनाये जाने से उनकी दिल की मुराद पूरी हो गयी है. आईपीएस स्तर के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा किसी खास राजनीतिक धारा के प्रति ऐसे खुले समर्थन से उनके प्रति जनता में अलग तरह का संदेश गया है.
पांडेय यही नहीं रुके हैं उन्होंने योगी आदित्यनाथ के गुणगाण में अपनी कलम तोड़ते हुए लिखा है कि उनके संसदीय क्षेत्र गोरखपुर में किसी प्रकार की अशांति कभी सुनी नहीं गयी…. संपूर्ण उत्तरप्रदेश शान्ति के साथ विकास करेगा – यही जनाकांक्षा है.
योगी की सच्चाई
जबकि सच्चाई यह है कि योगी के खिलाफ धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सद्भाव बिगाड़ने के मामले में आईपीसी की धारा 153 ए के तहत दो मामले दर्ज हैं. इसके अलावा उनके खिलाफ वर्ग और धर्म विशेष के धार्मिक स्थान को अपमानित करने के आरोप में आईपीसी की धारा 295 के दो मामले दर्ज हैं.
उनके खिलाफ कृषि योग्य भूमि को विस्फोटक पदार्थ का इस्तेमाल करके नुकसान पहुंचाने के इरादे से कार्य करने आदि का एक मामला भी दर्ज है. यही नहीं उनके खिलाफ आपराधिक धमकी का एक मामला आईपीसी की धारा 506 के तहत दर्ज है. उनके विरुद्ध आईपीसी की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास का एक संगीन मामला भी चल रहा है.
आईपीसी की धारा 147 के तहत दंगे के मामले में सजा से संबंधित 3 आरोप भी उन पर हैं. आईपीसी के खंड 148 के तहत उन पर घातक हथियारों से लैस दंगों से संबंधित होने के दो आरोप दर्ज हैं. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 297 के तहत कब्रिस्तान जबरन घुसने के दो मामले हैं.