अखिल भारतीय कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव सह प्रवक्ता व सुपौल की सांसद श्रीमती रंजीत रंजन ने आज पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में विशेष राज्य के दर्जा को बिहार की जरूरत बताया और कहा कि बिहार में बाढ़ – सूखाड़ और झारखंड के बंटवारे के बाद सकल घेरलू उत्पाद (जीडीपी) को बढ़ाने के लिए कोई संसाधन नहीं बचा. इसलिए विशेष राज्य का दर्जा बिहार का हक है और कांग्रेस इसका पूरा समर्थन करती है. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाना कांग्रेस की प्राथमिकता होगी.
उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सात निश्चय कार्यक्रम पर सवाल उठाते हुए इसे गरीबों के पैसों की लूट बताया. उन्होंने कहा कि सात निश्चय में पेंशन का पैसा, मसोमात का पैसा, खाद्य सुरक्षा जैसे चीजों का पैसा डायवर्ट किया गया. जबकि जमीनी हकीकत ये है कि बिहार के लगभग जिलों में तीन साल से पेंशन का पैसा, मसोमात और शौचालय आदि का पैसा नहीं मिला है. नीतीश कुमार ये कहकर अपनी पीठ थपथापते हैं कि उन्होंने दलित बस्ती में गंदे पानी की निकासी के लिए नाले बनाये, मगर वो नाले की निकासी नहीं है. सिर्फ नाला है, जहां बरसात के मौसम में पानी का जमाव होगा और मछड़ की वजह से मलेरिया फैलेगा. अगर वे दलितों के हितैषी हैं, तो दलित विरोधी लोगों के साथ सरकार में क्यों है और वे उनके कृत्यों पर चुप क्यों हैं?
श्रीमती रंजन ने बिहार में लॉ एंड ऑर्डर और नीतीश सरकार के द्वारा हाल में बनाये कानून पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि जिस न्याय के साथ विकास की बात नीतीश कुमार करते हैं, क्या यही है वो जहां हत्या, लूट, बलात्कार आम हो गए हैं? बच्चियों के साथ बलात्कार और उनका वीडियो वायरल किया जाता है. अपराधियों में कानून का भय समाप्त हो गया है. अब तो उन्हें सरंक्षण भी मिल रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार में इंफ्रास्टक्चर की भी हालत खराब है. बालू – गिट्टी को लेकर कानून तो बना दिया, मगर इससे विकास कार्य भी प्रभावित हो रहा है. इसका उन्हें अंदाजा नहीं है. आज प्रदेश में सभी केंद्रीय व राज्य की योजनाओं के कार्य ठप्प हैं. वहीं, नीतीश कुमार दलित उत्पीड़न पर चुप्पी साधे बैठे हैं.
श्रीमती रंजन ने केंद्र की मोदी सरकार पर भी जमकर बरसीं और कहा कि यह सरकार गरीब, दलित और महिला विरोधी है. जब यूपीए 2 के समय देश में पेट्रोल की कीमत 60-62 रूपए थी, तब उन्होंने कहा कि महंगाई चरम पर है. मोदी सरकार जुमलों और प्रोपगेंडा की सरकार है, जो अपने वादों को पूरा करने में पूरी तरह नाकाम रही है. उन्होंने मोदी सरकार पर दलितों के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी कानून में बदलाव की बात कही, तब भी मोदी सरकार रवैया संतोषजनक नहीं था. कोर्ट में एक पेटिशन डालने में उन्हें 15 दिन लग गए, वो भी विपक्ष के दवाब के कारण. भाजपा के साथ – साथ आरएसएस की मंशा है कि धीरे– धीरे करके वे देश के दलितों और महिलाओं का मजबूत करने वाले कानून को हटा दिया जाये. इतना ही नहीं, इनकी मंशा ओबीसी और अन्य आरक्षणों को हटाने की भी है.
श्रीमती रंजन ने कहा कि एनडीए सरकार पर महिलाओं पर अपराध की घटनाओं में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. एक तरफ ये बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देते हैं मगर इनके व्यवहार में रेपिस्ट बचाओ की मुहीम दिखती है. आज जब जनप्रतिनिधि और मंत्री ही बलात्कार के मामले आरोपी हो और उनपर सालभर बाद भी पास्को का मुकदमा नहीं चलता हो तो ऐसे में आम लोगों की का क्या होगा. उन्होंने रोजगार के सवाल पर कहा कि चुनाव के समय 2014 में मोदी जी ने कहा कि वे देश के युवाओं को रोजगार देंगे. जब रोजगार देने की बारी आई तो कह दिया पकौड़े बेचे. उनके मुख्यमंत्री कहते हैं पान बेचो. क्या यही अच्छे दिन हैं और पकौड़े पान बेचने से देश में लोगों को रोजगार मिल जायेगा.
संवाददाता सम्मेलन को बिहार प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सह एमएलसी डॉ प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि भाजपा और आरएसएस कभी भी दलित और महिला की तरक्की व उनका अधिकार देने के पक्ष में नहीं रही है. यही वजह है कि आरएसएस की स्थापना के बाद से आज तक किसी भी दलित को संगठन में कोई बड़ा पद नहीं मिला. जहां तक नीतीश कैबिनेट के फैसले की बात है तो उन्होंने उसमें दलितों की बात कही है. मगर तकनीकी तौर पर आज बिहार में दलित बचे ही नहीं. दलितों के आंदोलन के बाद तो उन्होंने सबको महादलित बना दिया. संवाददाता सम्मेलन में विधायक डॉ अशोक कुमार राम, विधायक डॉ अमिता भूषण, विधायक पूनम पासवान, जिला अध्यक्ष सुपौल विमल यादव, जिला अध्यक्ष मधेपुरा सत्येंद्र सिंह यादव, जिला अध्यक्ष कटिहार प्रेम राय, एनएसयूआई के प्रांत अध्यक्ष चुन्नू, विनोद यादव, गुंजन पटेल, मंजीत साहू और अरविंद कुशवाहा भी मौजूद रहे.