देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. अरविंद सुब्रमनियन ने आज कहा कि बिहार को अपने विकास एजेंडे पर कायम रहने के लिए 10 प्रतिशत की विकास दर जारी रखनी चाहिए। डॉ. सुब्रमनियन ने यहां एशियाई विकास शोध संस्थान (आद्री) के आर्थिक नीति एवं लोक वित्त केंद्र (सीईपीपीएफ) की ओर से ‘भारत में राजकोषीय संघवाद के लिए विश्लेषणात्मक रूपरेखा’ विषय पर आयोजित व्याख्यान को संबोधित करते हुये कहा कि बिहार को अपने विकास एजेंडे पर कायम रहने के लिए 10 प्रतिशत की विकास दर जारी रखनी चाहिए।
उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मॉडल की प्रशंसा करते हुये कहा कि जीएसटी राजनीति, प्रशासन एवं प्रौद्योगिकी का एक महत्वपूर्ण एवं क्रांतिकारी मॉडल है। इससे बिहार जैसे उपभोग वाले राज्यों को फायदा होगा। आर्थिक सलाहकार ने कहा कि देश में राज्यों के प्रदर्शन को निम्न एवं उच्चस्तरीय साम्यावस्था में विभाजित किया जा सकता है और सामान्यतः तीसरी पांत की सरकार का प्रदर्शन निम्न दिखता है। इसका मुख्य कारण यह है कि जो सरकार जनता के जितनी करीब होती है, वह करों में वृद्धि के प्रति उतनी ही अनिच्छुक होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि दूसरी और तीसरी पांत की सरकारों को निम्न साम्यावस्था के फंदे से बाहर आने के लिए बेहतर लोक सेवाएं प्रदान कर अपना कर राजस्व बढ़ाना चाहिए।
डॉ. सुब्रमनियन ने राजकोषीय संघवाद पर चर्चा करते हुये कहा कि राजकोषीय संघवाद के कामकाज को तीन ‘आर’ रीडिस्ट्रीब्यूशन (पुनर्वितरण), रिस्क शेयरिंग (जोखिम में हिस्सेदारी) और रिवार्ड (पुरस्कार) निर्धारित करते हैं। उन्होंने केंद्रीय अंतरणों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि सामान्य अंतरणों के साथ-साथ बाढ़ या सूखा जैसी स्थिति के लिए विशेष अंतरण भी होने चाहिए। उन्होंने इस तथ्य पर बल दिया कि अंतरण प्राकृतिक आपदा का प्रभाव घटाने वाले होने चाहिए और वित्त आयोग को कुछ रकम ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए भी अलग कर देनी चाहिए।