प्रख्‍यात समाजशास्‍त्री और चुनाव विश्‍लेषक योगेंद्र यादव अब चुनाव के लिए आधार तलाश रहे हैं, मुद्दे खोज रहे हैं और जमीन को सिंचते नजर आ रहे हैं। समाजवादी नेता व पूर्व सांसद किशन पटनायक की पुण्‍यतिथि पर आयोजित संगोष्‍ठी ने किशन पटनायक के बहाने श्री यादव आम आदमी पार्टी की संभावना टटोल रहे थे। उन्‍होंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वह नवंबर महीने में दस दिनों तक बिहार में रह कर गांवों में घुमेंगे और राजनीतिक संभावनाओं का आकलन करेंगे।yadav

 बिहार ब्‍यूरो

 

अपने दिन भर के प्रवास में वे कई कार्यक्रमों शरीक हुए और हर जगह ‘आप’ की उम्‍मीदों की टोह लेते रहे। आइएमए हॉल आयोजित सेमिनार में उन्‍होंने इस बात पर बल दिया कि उपचुनाव में राजद-जदयू-कांग्रेस गठबंधन ने भले ही बढ़त बना ली हो, लेकिन वह वस्‍तुत: समाजवादी राजनीति की हार हुई है। सामाजिक न्‍याय की शक्तियों की हार है। उन्‍होंने कार्यकर्ताओं को यह भी भरोसा दिलाया है कि आपके लिए अपना आधार व‍ विचार का विस्‍तार करने का बेहतर मौका है। उनका जोर इस बात पर भी था कि समाजवादी जमीन और जज्‍बा को नयी धार और नयी ऊर्जा की जरूरत है और यह काम आप कर सकती है।

 

इस बीच आम आदमी पार्टी के वरिष्‍ठ नेता आनंद कुमार और अभिषेक गुप्‍ता पटना में रह कर पार्टी संगठन की मजबूती के लिए व्‍यापक रणनीति बना रहे हैं और लोगों से मिलकर मुद्दों और संभावनाओं के दायरे बढ़ा रहे हैं। वह लोग करीब दो माह तक बिहार में आ-आकर अध्‍ययन करेंगे और इसकी रिपोर्ट भी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्‍व को सौंपेगे। इन लोगों की यात्रा की समाप्ति के बाद फिर योगेंद्र यादव करीब दस दिनों तक बिहार में रहकर यहां की सामाजिक और राजनीतिक संभावनाओं की समीक्षा करेंगे। संयोग है कि आर्चाय कृपलानी, मधु लिमये, जार्ज फर्नांडीज समेत कई बड़े समाजवादियों ने बिहार की जमीन से अपनी पहचान बनायी थी और संभव है कि चुनाव विश्‍लेषक योगेंद्र यादव को भी बिहार से संसदीय राजनीति स्‍थापित होने का मौका मिल सके।

By Editor


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