-अपने शोध में यह तथ्य मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज द्वारा आयोजित डेवलपमेंट डायलॉग में प्रस्तुत किये. यूनिसेफ के पार्टनरशिप के साथ एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के सभागार में आयोजित इस डॉयलॉग में ज्यां द्रेज ने कहा कि बिहार में बच्चों के कुपोषण और कम वजन की समस्या विकराल रूप धारण करती चली जा रही है. अंडरवेट बच्चों की संख्या 44 %, दुनिया में सबसे ज्यादा
पटना.
बिहार के आंकड़े कहते हैं कि यहां 44 फीसदी बच्चे अंडरवेट होते हैं यानी जिनका वजन मानक से बेहद कम होता है. यह दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल यूथोपिया, दक्षिणी सूडान और यूट्रोपिया से भी ज्यादा है. इन देशों में आंकड़ा 40 फीसदी के आसपास है. अपने शोध में यह तथ्य मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज द्वारा आयोजित डेवलपमेंट डायलॉग में प्रस्तुत किये. यूनिसेफ के पार्टनरशिप के साथ एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के सभागार में आयोजित इस डॉयलॉग में ज्यां द्रेज ने कहा कि बिहार में बच्चों के कुपोषण और कम वजन की समस्या विकराल रूप धारण करती चली जा रही है. कम वजन वाले बच्चों की संख्या तो दुनिया के कई निर्धन देशों से भी अधिक है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे फोर के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि बिहार को काफी काम करना शेष है. कम वजन, कम वृद्धि वाले बच्चे, स्वच्छता, कम उम्र में बच्चियों की शादी, जनसंख्या वृद्धि दर, मातृत्व देखभाल, महिलाओं की नकदी कमाई में शून्यता, साक्षरता दर में महिलाओं का बुरा हाल, बाल श्रम सहित ये सारे बिंदु बताते हैं कि तसवीर सही नहीं है. 40 फीसदी बच्चियां कम उम्र में ब्याह दी जा रही हैं. केवल 10 फीसदी बिहारी महिलाएं कैश कमाती हैं. उनका 50 फीसदी से कम साक्षरता का दर है और 20 फीसदी बच्चे बाल श्रम में लगे हैं. ज्यां ने कहा कि इन सबके बीच तसवीर कुछ अच्छी भी है. पिछले दस सालों में जो काम हुए हैं वे बता रहे हैं कि बालिका शिक्षा में बेहतर काम हुआ है. जहां 2001 में 10 से 14 साल उम्र की 50 फीसदी बालिकाएं असाक्षर थी वह आंकड़ा अब 15 फीसदी पर आ गया है. एनएफएचएस-3 के आंकड़े में टीकाकरण में जहां केवल 36 फीसदी बच्चों का टीका लगता था वह एनएफएचएस-4 में अब 62 फीसदी हो गया है. संस्थागत प्रसव में भी बिहार आगे बढ़ा है. उन्होंने यूपीए टू में एमडीएम और आइसीडीएस में हुए बजट कटौती को भी सरकार का गैर जिम्मेवार कृत्य बताया और आधार को सभी लाभकारी योजनाओं में अनिवार्य करने के मौजूदा केंद्र सरकार के फैसले पर भी निशाना साधा.