देश में मुसलमानों के विरुद्ध लगातार बढ़ती धार्मिक हिंसा और बिहार में गौ गुंडों के तांडव के बीच राष्ट्रीय स्तर की चार तंजीमों ने इन नफरतों का मुंहतोड़ जवाब नफरत के बजाय मुहब्बत के पैगाम से देने का फैसला किया है. 

रविवार को जमायत इस्लामी, इमारत शरिया, जमियतुल उलेमा ए हिंद और शिया संगठन ने देश भर के 200 से ज्यादा रणनीति तय करने वाले प्रतिनिधियों के साथ पटना में बैठक की.

 

पिछले तीन सालों में बिगड़ते हालात. 72 से ज्यादा मोब लिंचिंग( भीड़ द्वारा पिटाई), मुसमानों के खिलाफ घृणा फैलाने, धार्मिक आजादी पर प्रहार करने समेत दीगर मुद्दों पर गंभीरता से विमर्श हुआ. इस बैठ की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि सबने एक स्वर में इस्लाम के अमन के पैगाम को हथियार बनाने पर हामी भरी. जामायत इस्लामी के नायब अमीर नुसरत अली ने कहा भी कि हम इन नफरत के सौदागरों को मुहब्बत का पैगाम भेजना चाहते हैं. हम उन्हें जो बहतरीन चीज दे सकते हैं वह इस्लाम की शांति का संदेश है. जुल्म की उम्र लम्बी नहीं होती. इस देश ने जुल्म का लम्बा सिलसिला झेला है. लेकिन आप इतिहास के पन्न उलटिये तो देखेंगे कि जुल्म खुद मिटता रहा है.

बिहार में 27 जुलाई को नयी सरकार के गठन के बाद पिछले तीन हफ्ते में गाय गुंडों द्वारा दो बार हमले होने के बाद से इस मीटिंग का महत्व काफी बढ़ गया है. इस मीटिंग में ऐसी वारदात पर गंभीर चिंता जताई गयी.

नुसरत अली ने कहा कि हालांकि मुसलमानों के खिलाफ लगातार बढ़ते जुल्म से जहां लोगों में मायूसी है, नाउम्मीदी है वहीं आक्रोश भी है. लेकिन हमें आक्रोश को कत्तई नहीं बढ़ने देना है. मुसलमानों को इसके लिए तरबियत देने की जरूरत है. नुसरत अली ने शिया आलिमे दीन अमानत हुसैन की बातों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जुल्म को हराने का सबसे बढ़िया हथियार इख्लाक( भाईचारा) है.

जमायत इस्लामी के राष्ट्रीय अमीर नुसरत अली

इस बैठक में कई गंभीर विषयों पर चर्चा हुई. इमारत शरिया के नाजिम अनीसुर रहमान कासमी ने बैठक को इस बात के लिए आगाह किया कि देश भर में खुफिया स्तर पर मस्जिदों के इमामों और मुसलमानों के बीच की आपसी कमजोरियों का फायदा उठाने की कोशिशें भी शुरू हो गयी हैं. उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा इम्तेहान है और हमें साबित करना है कि हम एक हैं ताकिं उनकी साजिशें कामयाब न हो. जमियतुल उलेमा ए हिंद के बिहार के प्रमुख हुस्न अहमद कादरी ने भी इन्हीं बातों पर जोर देते हुए कहा कि मुसलमानों को अपना ईमान मजबूत करने की जरूरत है.

जमायत इस्लामी संवेदनशील मुद्दों पर आपसी मश्विरे का प्रयास लगातार करती रही है.इस कड़ी में यह महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गयी थी. इस क्रम में जमायत के बिहार के अमीर नैयरुज्जमा ने मौजूदा हालात का परिचय देते हुए कहा कि इस चुनौती की घड़ी में मुनासिब रणनीति की जरूरत है.

मीटिंग के दौरान बिहार के तमाम जिलों के बुद्धिजीवी,  विभिन्न  तंजीमों के नुमाइंदे मैजूद थे. इस अवसर पर संघ प्रेरित मीडिया के अपमानजनक अभियान पर गंभीर चिंता व्यक्त की गयी और इस बात पर जोर डाला गया कि उनके ऐसे अभियान का तर्कपूर्ण जवाब देने के लिए सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल करने की जरूरत है. इस अवसर पर बुजुर्ग पत्रकार रेयाज अजीमा बाद, अनवारुल होदा ने भी अपने विचार रखे. मिटिंग का संचालन जमायत इस्लामी के पटना के अमीर रिजवान इस्लाही ने किया.

 

 

By Editor


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