बिहार में बाढ़ से हुई मौतों के मामले में पिछले 9 सालों का रिकार्ड इस बार टूट सकता है. अब तक 367 लोगों की मौतों की पुष्टि आपदा प्रबंधन विभाग कर चुका है. आंकड़ों के मुताबिक 2008 में 434 लोगों की मौत हुई थी. हालांकि जिस तरह के हालात हैं उससे लगता है कि मौतों का सिलसिला अभी थमने वाला नहीं है.
गौरतलब है कि 2008 में कोशी त्रासदि के वक्त काफी क्षति हुई थी. तब सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 434 लोगों की जानें गयी थीं. लेकिन इस बार की हालत और गंभीर है. आशंका है कि बाढ़ का पानी हटने के बाद कई इलाकों में बीमारियां भी फैल सकती हैं.
राजय्य के कुल 38 में से 19 जिलों की एक करोड़ 58 लाख 30 हजार आबादी प्रभावित हुई है. बाढ़ से प्रभावित होने वाले जिलों में किशनगंज, अररिया, पूणर्यिा, कटिहार, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, समस्तीपुर, गोपालगंज, सारण, सीवान, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा एवं खगडिया शामिल हैं.
अररिया में सर्वाधिक मौत
सबसे अधिक अररिया में 80 लोग, सीतामढी एवं पश्चिमी चंपारण में 3636, कटिहार में 35, मधुबनी में 24, किशनगंज में 23, दरभंगा में 22, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज एवं मधेपुरा में 19-19, सुपौल में 15, पूर्णिया में 9, मुजफ्फरपुर, खगड़िया एवं सारण में 77, शिवहर एवं सहरसा में 44 तथा समस्तीपुर में एक व्यक्ति की मौत हुई है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कटिहार जिलान्तर्गत कदवा प्रखंड के चांदपुर में संचालित बाढ़ राहत शिविर में बाढ प्रभावित परिवारों को संबोधित करते हुए आज कहा कि इस बार के बाढ़ से नया अनुभव मिला है. दो दिनों के अंदर लगभग 600 मिमी बारिश हो गयी. जितनी वर्षा पूरे साल में होती है, उतनी लगभग दो-तीन दिनों में हो गयी.