सीएम नीतीश कुमार ने हाल ही में जिस अंतरराष्ट्रीय बिहार म्युजियम का उद्घाटन किया है वहां अगर गाइड की भूमिका में रोबोट आपकी रहनुमाई करे तो आप कैसा महसू करेंगे.
रोबोट आपके मेल और अखबार को पढ़कर सुना सकता है,चाय-पानी लाकर दे सकता है, बच्चों के साथ खेलने के अलावा एकाकी जीवन जी रहे बुजुर्गों के लिए साथी बनकर उनका जीवन आसान कर सकता है. इस क्षेत्र में कई शोधकर्ता लगे हैं कि रोबोट को जीवन से अधिकतम कैसे जोड़ा जा सके. इसी क्रम में रोबोटिक्स के क्षेत्र में शोधरत अमित इसी सपने को साकार करने में लगे हैं। अभी हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन्हें प्रवासी बिहारी सम्मान से सम्मानित किया।
बिहार के बक्सर जिले के चुरामन पुर गाँव के अमित कुमार पाण्डेय अभी दो वर्षों से मानव सदृश्य रोबोट बनाने वाली वल्र्ड लीडर कम्पनी अल्डेबर्न, पेरिस में चीफ साईंटिस्ट है। अभी वे जर्मनी, स्वीडन, फ्रांस, इटली, स्पेन सहित कई यूरोपीय देशों के वैज्ञानिकों के साथ सामाजिक रूप से बुद्धिमान रोबोट को डेवलप करने में लगे हैं। वे इस प्रोजेक्ट में यूरोपियन रोबोटिक्स यूनियन के को-आॅडिनेटर भी हैं।
33 वर्षीय अमित का कहना है कि एक रोबोट यदि क्लास रूम का पार्ट हो जाये तो बच्चे काफी एट्रेक्ट और मोटिवेट हो सकते हैं। इन्टेलिजेंट रोबोट बच्चों को टीचिंग में फीडबैक भी देगा। गलत उच्चारण या गलत उत्तर पर टोकेगा और सही जवाब बतायेगा। यानि इंटरटेंमेंट के साथ-साथ एजुकेशन भी देगा स्मार्ट रोबोट। आटिज्म थेरेपी में भी रोबोट के इस्तेमाल पर काम चल रहा है।
इनका कहना है कि रोबोटिक्स में अपार संभावनाएं हैं। पटना में बन रहे अंतरराष्ट्रीय म्यूजियम मे यह टूर गाईड की भूमिका भी अदा कर सकता है।
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