इस बार के राज्यसभा और विधान परिषद के चुनाव का बड़ा अचीवर राष्ट्रीय जनता दल होगा कांग्रेस को भी फायदा होगा जबकि जदयू को भारी घाटा और भाजपा को नुकसान होगा.बिहार में 23 मार्च को राज्यसभा चुनाव होने जा रहा है.
संजय वर्मा
राज्यसभा की सभी 6 सीटें भाजपा- जदयू की है इनमे चार- बशिष्ठ नारायण सिंह,अनिल साहनी अली अनवर अंसारी और किंग महेन्द्र जदयू से राज्यसभा के निवर्तमान सदस्य रहे हैं. वहीं भाजपा के रविशंकर प्रसाद और धर्मेंद प्रधान राज्यसभा सदस्य थे. इस प्रकार एनडीए गठबंधन के लिए यह कत्तई संभव नहीं कि वह अपनी तमाम छह की छह सीटें बचा सके. बल्कि विधानसभा के जो मौजूदा आंकड़ें हैं ( वही वोटर भी हैं) उससे साफ जाहिर है कि जदयू को दो भाजपा को एक सीट का नुकसान होना तय है. इस समय राजद के सबसे ज्यादा 80 विधान सभा सदस्य हैं. जदयू के 71 हैं जबकि कांग्रेस के 27 एमएलए राज्यसभा के उम्मीदवारों को चुनेंगे. राजद की संख्या ज्यादा होने के कारण उसे सबसे ज्यादा फायदा होना तय है.
दूसरी तरफ राजद को 2 और कांग्रेस को एक सीट पर फायदा होना तय है.
क्या राजद किसी दलित या मुस्लिम को देगा टिक्ट?
अब यह देखना होगा कि राजद अपने किन किन नेताओं को राज्यसभा भेजता है. जैसी की चर्चा है राजद की ओर से शिवानंद तिवारी, शरद यादव, किंग महेंद्र, रघुवंश प्रसाद सिंह के अलावा कोई दलित व मुस्लिम चेहरा राज्यसभा में जा सकता है. लेकिन इन नामों की चर्चा फिलहाल सामने नहीं आ रही है. इससे पहले हुए राज्यसभा चुनाव में राजद ने डा. मीसा भारती और वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी को राज्य सभा भेज चुका है. उस समय ड़ा. एम एजाज अली की दावेदारी पुख्ता थी लेकिन उन्हें अवसर नहीं दिया गया. इससे नाराज एजाज अली ने बगावत का बिगुल फूक दिया और राजद से अलग हो गये. ऐसे में राजद के सामने अल्पसंख्यक समुदाय के स्पिरेशन को समझने का अवसर है. देखना है कि वह इस बार क्या फैसला लेता है. उधर तेजस्वी यादव ने बसपा प्रमुख मायवती को राज्यसभा भेजने के लालू प्रसाद के वचन को पूरा करने के लिए उनसे सम्पर्क किया था लेकिन मायवती ने शालीनता से ना कह दिया. इसके बाद दलित समाज में यह उम्मीद बंधी है कि उनकी जगह किसी दलित को राज्यसभा भेजा जाये.
उधर कांग्रेस में भी राज्यसभा जाने के लिए नेताओं में आपसी रस्सकशी जारी है.कांग्रेस से मीरा कुमार, शकील अहमद और अखिलेश सिंह के नामो की चर्चा है.
जदयू में क्या है खेल
जहां तक जदयू की बात है तो सीटें कम होने के कारण वह किसे उम्मीदवारी दे या किसकी उम्मीदवारी काटे यह बात बड़ी चुनौती है. महेंद्र प्रसाद, को पहले ही जदयू ने मना कर दिया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह भी शायद इस बार राज्यसभा से वंचित रह जायें. जहां तक अनिल साहनी की बात है तो पार्टी की किरकिरी कराने के कारण ड्राप किया जा सकता है. जहां तक अली अनवर की बात है तो वह पहले ही पार्टी से बाहर निकाले जा चुके है. पार्टी में जिन नामो की जवर्दस्त चर्चा है उनमें संजय झा और के सी त्यागी प्रमुख दावेदार है.
भाजपा की क्या होगी रंगत
आंकड़ों को देखें तो भाजपा को एक सीट मिलेगी. धर्मेंद्र प्रधान और रविशंकर प्रसाद में से कोई एक ही जा पाएंगा. संख्याबल के हिसाब से सबकुछ सामान्य रहा तो चुनाव की नौबत नही आएगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी यही चाहते रहे है पर भाजपा को हड़बड़ी है. संख्या बल के आधार पर जदयू 2 राजद 2 भाजपा दो और राजद के सहयोग से कांग्रेस 1 सीट प्राप्त कर सकती है. पर भाजपा और जदयू कांग्रेस विधायकों को मैनेज कर अपने सरप्लस वोटो के सहारे किसी को खड़ा कर छट्ठी सीट को हथियाने का मंसूबा पाल रखा है. ऐसे में इस सीट पर चुनाव तय है. छट्ठी सीट पर तब कांग्रेस भी उम्मीदवार उतारने में जैसे को तैसा की नीति अपना सकती है.