नौकरशाही डेस्क, पटना
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने यह मान लिया है की यदि महागठबंधन विधान परिषद चुनाव में साथ लाडे होते तो तस्वीर दूसरी होती. चुनाव परिणाम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा है कि महागंठबंधन के दल अलग अलग चुनाव लड़े इसी कारण चुनाव का परिणाम निराशाजनक रहा. उन्होंने कहा कि परिणाम यही बता रहा है कि हम एक साथ लड़ते तो तसवीर दूसरी रहती. इस पर हमें गंभीरता से सोचने की जरूरत है. उपमुख्यमंत्री ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि गोवा और मणिपुर में संवैधानिक नियमों को दरकिनार किया जा रहा है. विधायकों की खरीद-फरोख्त हो रही है और इसे आदर्श राजनीति बतायी जा रही है.
सभापति पर अभी से नहीं बन रही सहमति
इधर सभापति के पद पर कौन बैठेगा इसे लेकर अभी तक सहमति नहीं हो पेयी है. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा है कि विधान परिषद का सभापति हम सब मिल कर तय करेंगे. कोई एक व्यक्ति यह नहीं तय करेगा कि सभापति कौन होगा? उन्होंने कहा कि महागंठबंधन इस पर निर्णय लेगा. उन्होंने साफ कहा कि केवल सीएम तय नहीं करेंगे. वहीँ जदयू ने कहा मुख्यमंत्री फैसला करेंगे. जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि बीजेपी के सदस्य रहने के बावजूद अवधेश बाबू को विप में मुख्यमंत्री ने उनके अनुभव को वरीयता दी. आठ मई तक उनका कार्यकाल है. आठ मई के बाद पार्टी का राष्ट्रीय और प्रदेश नेतृत्व इस पर विचार करेगा. उद्योग मंत्री जयकुमार सिंह ने कहा कि विधान परिषद के सभापति के बारे में अंतिम फैसला मुख्यमंत्री करेंगे. अभी जदयू ने कुछ तय नहीं किया है.