बिहार लोकसेवा आयोग की हठधर्मिता से नाराज छात्र पटना से दिल्ली तक आंदोलनरत हैं लेकिन आयोग छात्रों की चिंता करने के बाजये अपनी जिद पर अड़ा है.
मुकेश कुमार
बिहार लोक सेवा आयोग और विवादों का चोली-दामन का साथ रहा है. ताजा विवाद मुख्य परीक्षा की तिथि को लेकर है, जिसको आगे करने को लेकर प्रतियोगी छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली में रहकर तैयारी कर रहे छात्रों ने 9 जून 2016 को दिल्ली स्थित बिहार भवन पर धरना दिया था तो पटना में रहने वाले छात्रों ने आयोग कार्यालय के सामने सड़क पर प्रदर्शन किया था, जंहा प्रशासन की लाठीचार्ज से कई प्रतियोगी छात्र घायल भी हुए थे.
इसी से जुड़ी- बीपीएससी मेन परीक्षा की तारीखें तय
प्रतियोगी छात्र चाहते हैं कि बिहार लोक सेवा आयोग अपनी परीक्षाओं को संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के बाद आयोजित करे. दरअसल आयोग ने 56 वीं – 59 वीं बिहार राज्य सिविल सेवा मुख्य परीक्षा की तिथि 8 -30 जुलाई 2016 घोषित की है. परन्तु समस्या यह है कि ठीक एक सप्ताह बाद 7 अगस्त 2016 को संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ‘सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2016’ होने वाली है. संघ लोक सेवा द्वारा आयोजित परीक्षा और बिहार लोक सेवा द्वारा आयोजित इन परीक्षायों की प्रवृति और पैटर्न बिल्कुल अलग-अलग है, ऐसे में उन छात्रों के सामने यह समस्या गंभीर हो गई है जो दोनों परीक्षा में शामिल हो रहे हैं, विशेषकर उन प्रतियोगी छात्रों के लिए जिनका सिविल सेवा में अंतिम अवसर है.
1500 छात्रों की सूची फिर कोई संवेदना नहीं
इस समस्या को लेकर जब छात्रों का एक प्रतिनिधि मंडल आयोग से मिला तो आयोग ने कहा कि ‘आपलोग कम-से-कम 1000 वैसे परीक्षार्थी के नाम, क्रमांक और हस्ताक्षर ले आएं जो इन दोनों परीक्षायों में शामिल हो रहे हैं’. 13 जून 2016 को जब छात्रों ने लगभग 1500 परीक्षार्थी के नाम, क्रमांक और हस्ताक्षर बिहार लोक सेवा आयोग के सामने प्रस्तुत किया तो उन्होंने इसको मानने से इनकार कर दिया और कहा कि अब परीक्षा की प्रक्रिया आगे बढ़ चुकी है तो इन परिस्थितियों में मुख्य परीक्षा की तिथि आगे नहीं बढाई जा सकती है.
प्रश्न यह उठता है कि आयोग जब पहले से ही यह मन बना चुका था कि परीक्षा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही लिए जाएंगे तो फिर 1000 परीक्षार्थी के नाम, क्रमांक और हस्ताक्षर लाने पर विचार करने का भरोसा प्रतियोगी छात्रों को क्यों दिया गया ? आयोग छात्रों के हित में परीक्षा की तिथि क्यों नहीं बढ़ाना चाहता है ? गौर-तलब है कि अन्य राज्यों के लोक सेवा आयोग अपने परीक्षा कार्यक्रम में यह ध्यान देते है कि उनकी परीक्षायों की तिथि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षायों की तिथि के आस-पास न हो. जब अन्य लोक सेवा आयोग छात्रों के व्यापक हित को देखते हुए छात्रों के हित में फैसला करती है तो बिहार लोक सेवा आयोग छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने और अपनी मनमानी पर क्यों उतरा हुआ है.
मुकेश कुमार पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में मीडिया केंद्र में सीनियर रिसर्च फेलो हैं.