भाजपा सांसद और फिल्‍म अभिनेता शत्रुघ्‍न सिन्‍हा के लालू यादव और नीतीश कुमार प्रेम से हर कोई हतप्रभ है। भाजपा वाले बेचैन हैं। यह स्‍वाभाविक है। भाजपा की बेचैनी को आसानी से समझा जा सकता है। विधान सभा चुनाव के मौके पर ‘खुरपी के बिआह में हसुआ का गीत’ का मर्म अब लोगों को समझ में आने लगा है। बिहारी बाबू का पार्टी के अंदर ‘दबाव’ का यह खेल पत्‍नी को विधायक बनाने के लिए है।download (3)

वीरेंद्र यादव

 

बिहारी बाबू अपनी गैरबिहारी पत्‍नी पूनम सिन्‍हा ( असली नाम पूनम चांदीरमानी) को बिहार विधान सभा की सदस्‍य यानी विधायक बनाने चाहते हैं। यह कोई अप्रत्‍याशित भी नहीं है। भाजपा के कई नेता अपने परिजन के लिए पार्टी में बगावत भी कर चुके हैं,  तो बिहारी बाबू की ‘बगावती बोल’  को अनसुना नहीं किया जा सकता है। वे पूनम सिन्‍हा  को पटना के बांकीपुर या कुम्‍हरारर क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़वाना चाहते हैं। ये दोनों सीटें भाजपा के पास हैं और कोई विधायक सीट छोड़ने को तैयार नहीं है। भाजपा विधान मंडल दल के नेता सुशील कुमार मोदी भी यदि विधान सभा चुनाव लड़ना चाहेंगे तो उन्‍हें इन्‍हीं दो सीटों में से एक पर दावेदारी करनी होगी। 2004 लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सुशील मोदी ने अरुण सिन्‍हा को अपना उत्‍तराधिकारी बनाया था,  जो अभी कुम्‍हरार से विधायक हैं। लेकिन मोदी के लिए ज्‍यादा सुरक्षित सीट बांकीपुर मानी जा रही  है। इन अंतर्विरोधों के बीच पटना से पूनम सिन्‍हा के लिए कोई संभावना बनती नहीं दिख रही है।

 

लालू-नीतीश से टिकट की उम्‍मीद

यही वजह है कि बिहारी बाबू लालू यादव व नीतीश कुमार को लेकर ज्‍यादा उदारवादी हो गए हैं। नीतीश कुमार की तारीफ के पुल बांध रहे हैं तो कायस्‍थों के सम्‍मेलन में लालू यादव के साथ मंच पर बैठते हैं और लालू यादव की तारीफ करते हैं। उनका मकसद है कि भाजपा टिकट नहीं देती है तो राजद-जदयू गठबंधन से भी परहेज नहीं किया जा सकता है। इसी बहाने वे भाजपा पर दबाव भी बनाना चाहते हैं। भाजपा उन्‍हें पटना के अलावा भागलपुर या किसी अन्‍य शहरी सीट से टिकट देने को तैयार हो जाती  है,  तो उन्‍हें इससे परहेज नहीं है।

 

पूनम सिन्हा बिहार की वोटर हैं या नहीं, कन्‍फर्म नहीं है। यदि वोटर होंगी तो ठीक, अन्‍यथा उन्‍हें बिहार का वोटर बनना होगा। विधान सभा चुनाव लड़ने के लिए संबं‍धित राज्‍य का वोटर होना अनिवार्य है। हालांकि वोटर बनना सामान्‍य प्रक्रिया है और अभी उसका काम भी चल रहा है। यदि वोटर बनने से चूक गयीं तो चुनाव की दावेदारी समाप्‍त हो जाएगी।

By Editor


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