आईपीएस अमिताभ ठाकुर पुलिस अधिकारी तो हैं ही सामाजिक मामलों की गंभीर परख भी रखते हैं. दिल्ली रेपकांड के बाद पुलिसिंग पर उठते सवालों पर उनके बेबाक सुझाव आप भी पढ़ें-
हाल के दिनों में सामने आई कई रेप की घटनाओं और उनमे पुलिस के कथित खराब और निंदनीय प्रदर्शन के दृष्टिगत यदि हम वास्तव में देश में बेहतर पुलिसिंग चाहते हैं तो हमें सतही प्रयास त्याग कर मौजूदा परिस्थितियों में आमूलचूल परिवर्तन किये जाने की दिशा में आगे बढ़ना होगा.
कुछ चीज़ें जो तत्काल की जानी अत्यंत आवश्यक दिखती हैं, निम्नवत हैं-
1. दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही- यह तभी संभव है जब पुलिसकर्मियों के विरुद्ध आने वाली सभी शिकायतों के सम्बन्ध में ब्रिटेन तथा अन्य कई पश्चिमी देशों की तर्ज पर और हमारे सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुलिस सुधार सम्बन्धी याचिका में निर्देशित एक स्वतंत्र पुलिस जांच आयोग गठित किया जाएगा जो पुलिस के खिलाफ आने वाली सभी शिकायतों की जांच करेगा.
2. यदि किसी पुलिसकर्मी के विरुद्ध कोई आपराधिक कृत्य की शिकायत की पुष्ट होती है तो उसके खिलाफ मात्र प्रशासनिक कार्यवाही तक अपने को सीमित नहीं रखते हुए आपराधिक धाराओं में भी कार्यवाही किया जाये.
3. तत्काल प्रभाव से पुलिस और पुलिसजनों से सम्बंधित सभी प्रकार के मौलिक और मूलभूत सुविधाओं में भारी सुधार किया जाना. हम तब तक अच्छी पुलिस व्यवस्था नहीं पा सकते जब तक हम पुलिस को पर्याप्त सामग्री, बुनियादी सुविधाएँ और पुलिसजनों की संख्या मुहैया नहीं कराते.
4. पुलिस के कथित वरिष्ठ और कनिष्ठ अधिकारियों के बीच की दूरी समाप्त की जाए और एक ऐसा माहौल बनाया जाए जिसमे सभी पुलिसकर्मी यह महसूस करें कि वे हर मायने में बराबर हैं और एक साथ एक उद्देश्य की पूर्ति के लिए कार्य कर रहे हैं.
5. अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों की प्रोन्नति के सम्बन्ध में भारी सुधार हो और उन्हें उतनी ही प्रोन्नतियाँ मिलें जितनी आईपीएस और पीपीएस अधिकारियों को मिलती हैं.
6. अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों के साथ विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किये जा रहे उत्पीडन बंद हों, और उन्हें घरेलू और व्यक्तिगत कामों में बिलकुल नहीं लगाया जाए.
7. पुलिस वालों के व्यवहार और जनता के प्रति उनके आचरण और संवाद पर और विशेष बल दिया जाये और इसमें किसी प्रकार की शिकायत की पुष्टि होने पर कठोर कार्यवाही की जाए.
पुलिस और पुलिसिंग को बेहतर बनाना इतना दुष्कर कार्य नहीं है. जरूरत इस बात की है कि हम ईमानदारी से इसके लिए मन बनाएँ.