इसी साल फरवरी में देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक ने अपनी मुंबई स्थित एक शाखा में करीब 11,400 करोड़ रुपये का फ्रॉड होने की बात जाहिर की थी. हालांकि बाद में जैसे-जैसे परतें खुलीं, तो यह सामने आया कि यह घोटाला 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का निकला. उधर नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे कारोबारियों द्वारा हजारों करोड़ रुपये लोन लेकर देश से भाग जाने से भारत के बैंकों में त्राहि-त्राहि मची है. बैंक इस धोखाधड़ी को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. हालत यह है कि बैंक कारोबारियों को अब और लोन दे पाने में सक्ष्म नहीं जिससे निवेश पर संकट के गहरे बादल छाये हुए हैं.
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ऐसे में बैंकों की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए बैंक आफ बड़ोदा, देना बैंक और विजया बैंक के विलय का फैसला लिया गया है. बैंकिंग सेक्टर में सुधार और पुनर्गठन पर विचार के लिए बनी अल्टरनेटिव मैकेनिज्म कमेटी ने यह फैसला लिया. इस कमेटी के अध्यक्ष वित्त मंत्री अरुण जेटली हैं जबकि रेल मंत्री पीयूष गोयल और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण इसमें सदस्य हैं. सरकार का दावा है कि इस फैसले से न सिर्फ ग्राहकों को फायदा होगा बल्कि बैकिंग क्षेत्र भी ज्यादा प्रभावी तरीके से काम कर पाएगा.
विलय क्यों