कारा महानिरीक्षक मिथिलेश मिश्रा ने मुजफ्फरपुर बालिका अल्पावासगृह यौन शोषण मामले में गिरफ्तार ब्रजेश ठाकुर को इलाज के नाम पर अस्पताल में रखने को लेकर शुरू हुई अटकलों के बीच आज कहा कि यह निर्णय जेल अधीक्षक का है और इसके लिए सरकार के स्तर पर कोई निर्देश नहीं दिया गया है।
श्री मिश्रा ने यहां बताया कि कारा विभाग गृह विभाग के अन्तर्गत है, जो मुख्यमंत्री के अधीन है। मीडिया में इस बात के कयास लगाये जा रहे हैं कि यह ढिलाई कहीं न कहीं उच्चस्तरीय निर्देश के आधार पर बरती जा रही है जबकि वास्तविक स्थिति इसके विपरीत हैं। उन्होंने बताया कि कारा हस्तक नियम के मुताबिक किसी बीमार बंदी को जेल के वार्ड, कारा अस्पताल या आवश्यकता पड़ने पर सदर अस्पताल अथवा मेडिकल काॅलेज में इलाज कराये जाने का निर्णय संबंधित काराधीक्षक का होता है। इसके लिए सरकार के स्तर से कोई निर्देश नहीं दिया गया है।
महानिरीक्षक ने बताया कि ब्रजेशे के चिकित्सा रिकॉर्ड से पता चलता है कि इस वर्ष 03 जून को न्यायालय द्वारा बंदी को न्यायिक हिरासत में भेजते समय आवश्यकतानुसार समुचित चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था। जेल में प्रवेश के समय स्वास्थ्य जांच के क्रम में उसमें उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग एवं अन्य बीमारी पाई गयी थी। उन्होंने बताया कि इन बीमारियों के कारण बंदी ब्रजेश का 03 से 09 जून 2018 तक जेल अस्पताल में ही जांचकर इलाज किया गया लेकिन बंदी के स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर 09 जून को एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर में भर्ती कर इलाज कराया गया। एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर में बंदी के स्वास्थ्य में सुधार के बाद पुनः कारा के अस्पताल में ही 14 अगस्त तक इलाज कराया गया।